पदम् पुराण में सफला एकादशी e mais इस कथा के अनुसार एक बार एक marca इनके marca र में सब कुछ थ था, लेकिन marca के के पुत पुत्र सदैव पापयुक्त कामों में लिप्त marca इन कार्यों से marca बहुत बहुत दुःखी थे थे उन्होंने अपने से नाराज होकर उसे देश से बाहर निकाल दिया। उनका पुत्र जिसका नाम लुम्पक था वह देश से निकाले जाने के बाद वन में हने लगा ज जाने के बाद वन में हने लगा। ठंड में दिन र र गुजारना लुम्पक को मुश्किल लगने लगा वह बहुत दुःखी हुआ।।। मुश मुश मुश मुश वह बहुत हुआ।
Mais informações Mais uma vez mais Mais informações एकादशी पर्व पर वह भी व्रत, साधना करने लगा एक रात वह सर्दी के कारण सो नहीं सका इसी तरह लुम्पक का एकादशी व्रत, साधना सम्पन्न हो गया।
Linha इस प्रकार एकादशी व्रत, साधना के प्रभाव से लुम्पक को मृत्यु के बाद विष्णुधाम में प्रवेश मिल गया। पदम् पुराण में सफला एकादशी व्रत की महिमा का वर्णन मिलता है।
सफला एकादशी व्रत, साधना की महत्ता के बारे में श्री कृष्ण ने युधिष्ठिर को बताया था। उनके अनुसार जो व्यक्ति सफला एकादशी के व व्रत, साधना करता है उसे करोड़ों वर्षों की तपस्या का फल प्राप्त होता है तपस तपस तपसाया का फल प्राप्त होता है तपस तपस तपस तपसा का फल प्राप्त होता है तपस तपस तपस तपस gre साथ ही जीवन में को को व व्यक्ति आसानी से क कर लेता है और मृत्यु के पश्चात् उसे सद्गति प्राप्त होती है।।।।।।।।।।।।।
इस साधना को सफला एकादशी 09 जनवरी प्रातः काल सम्पन्न करना श्रेयस्कर सिद्ध होगा, यदि इस स स साधना न क क तो को भी भी क इस स साधना न कntas
Linha पिफ़र अपने सामने लकड़ी के बाजोट पर पीला वस्त्र बिछा कर विष्णु महायंत्र और लक्ष्मी के स्वरूप में 11 कमल बीज को स्थापित करें, यंत्र और कमल बीज का पुजन अबीर, गुलाल, कुंकुम, केशर, मौली आदि से करें फिर प्रसाद अर्पित करें।
अस्य श्री द्वादशाक्षरमन्त्र्स्य,
गायत्री छन्दः, वासुदेवः, ou
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O que você pode fazer?
Ome para o canto na boca, Vasudeva, a Alma Suprema, para a divindade.
नमः हृदि विष्णु चैतन्य सफलि
पुरूषोत्तम विनियोगाप
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फिर वैजन्यन्ती माला से निम्न मंत्र का 12 anos
completo-
शास्त्रोक्त विधान है कि 12 अक्षर के इस मंत्र का सम संख्या 12 माला मंत्रों का जप करने से साधक को पूर्ण सफलता प्राप्त होती है तथा भगवान विष्णु की अभीष्ट कृपा से साधक मनोंवांछित फल प्राप्त करता है। सब प्रकार के पाप दोष दूदू कर साधक श्री विष्णु का तेज ग्रहण करने में समर्थ होता है इसलिये तो यह साधना निश्चय ही सjet होत होत है तो यह यह साधना निश्चय ही सjet होत होत है। साधना समाप्ति के बाद सम्पूर्ण सामग्री को उसी कपड़े ब बांधकर किसी पवित्र जलाशय में विसर्जित करें।
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