O, मुझे तो वे शिष्य प्रिय हैं, जिनमें बाधाओं को ठोकर मारने का हौसला होता है,जो विपरित परिस्थितियों पर छलांग लगाकर भी मेरी आज्ञा का पूर्ण रूप से पालन करने की क्रिया करते हैं, जो समस्त बंधानों को झटक कर भी मेरी आवाज को सुनते हैं और ऐसे शिष्य स्वतः ही मेरी आत्मा का अंश बन जाते हैं उनका नाम स्वतः ही मेरे होठों से उच्चारित होने लगता है और वे मेरे हृदय की गहराइयों में उतर जाते हैं।
पूर्णता तो तब सम्भव होती है, जब शिष्य गुरू के चरणों में सिर रखकर आंसुओं से उनके चरणों को धोए, अपने को पूर्ण विसर्जित करे, उसका हृदय गद्गद् हो जाय, गला भर जाय, और रूंधो हुए गले से जो कुछ शब्द निकले, तो ' गुरूदेव' शब्द ही निकले।
Um discípulo é aquele que tem esse desejo em sua mente o tempo todo, que ele possa correr para o Guru, pode haver alguma compulsão, ele não poderia ir, é uma coisa diferente, mas deve haver ansiedade na mente, deve haver um forte desejo, deve haver alguma hesitação, deve ser que ele tenha que alcançar o Guru em qualquer condição.
अणु वि विराट बनने क क्रिय deveria Linha
तुम्हें कभी जिन्दगी में ठोकर लगे, मैं ऐस ऐसा चाहता हूं जल जल्दी ही लगे।।।।।।।।।। ऐसा तुम्हें एहसास हो सके कि तुम्हारी जिन्दगी का कुछ उद्देश्य, कुछ लक्ष्य है और तुम उस उद्देश्य के प पप गतिशील हो सके।
स्थूल जगत में कुछ हम देखन देखना चाहते हैं या और जो कुछ हम हैं औ औ औ जिनको देखने से प प्रसन्नता होती है वह प्रसन्नता क्षणिक है
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