भोग का तात्पर्य केवल वासना नहीं होता, भोग का तात्पर्य है कि आपके जीवन में कोई अभाव ना हो, आप समाज में पूज्य हों, आपके ज्ञान का स्तर उच्चतम हो, जिससे स्वयं के साथ-साथ जनमानस का कल्याण हो सके। ऐसे जगद्गुरू महापुरूष की साधना करने से साधक अपने में अनुकूलत अनुकूलता प्राप्त करता है।। उसके जीवन में भोग स साथ ही साथ योग का मार्ग भी प्रशस्त होता है। जिसकी पूर्णता के लिये बड़े से बड़ा साधक, योगी, संन्यासी भी प्रयत्न करते हैं, क्योंकि बिना योग-भोग के मेल से इच्छायें अतृप्त रह जाती है और यदि एक भी इच्छा रह गयी तो पुनः जन्म-मरण की क्रियाओं से गुजरना ही पडे़गा।
Linha जीवन में कदम-कदम पर जो असुररूपी कंसमय राक्षसों द्वारा दुःख संताप, कष्ट पीड़ा, शत्रुमय स्थितियों का विस्तार कर जीवन में अंधकारमय स्थितियां निर्मित करते है जिससे जीवन निरन्तर कष्टमय बना रहता है। साथ ही पशुवत स्थितियों से बदत बदतर जीवन व्यतीत करना पड़ता है।। सही marca में तो क का भाव चिन्तन योग-भोग की सुस्थितियों से निरन्तर क्रियाशील हें हें। वैसे भी जीवन में कभी भी थोड़ा सा ही संताप दुःख आता है तो उसके निवारण हेतु अपने माता-पिता संतान परिजनों मित्रें का स्मरण नहीं करते बल्कि ईश्वर से ही प्रार्थना की जाती है की वे मेरे संकटों का निदान करें।
जीवन का सारभूत तथ्य यही है कि जीवन में निरन्तर आनन्द प्रसन्नता, सुख, भोग-विलास के साधन प्रचुर मात्रा में प्राप्त हो तब ही साधनात्मक रूप में योगमय स्थितियों का विस्तार हो सकेगा। अतः निरन्तर जीवन्त जाग्रत कर्मशील रहते हुये उक्त सुस्थितियों की पूर्णता से प्राप्ति के लिये कृष्णमय सम्मोहन युक्त वसन्तोमय चैतन्य महापर्व पर साधना सम्पन्न कर साधक अपनी मनोकामनायें सरलता से पूर्ण करने में समर्थ होते हैं। Linha
Sadhana Vidhi-
ललिताम्बा जयन्ती युक्त माघ शुक्ल पक्षीय वसन्त पंचमी 16 फरवरी को उक्त महापर्व पर उक्त विशिष्ट साधन साधना सम्पन्न कक उक Para निश Paragre.।
स्नान कर शुद्ध धुल; O que você pode fazer? ोहन शक्ति यंत्र, योग-भोग प्रदायक जीवट व सोलह कला शक्ति माला स्थापित कर, पंचोपचार पूजन कर भगवान कृष्ण का ध्यान करें-
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ऊँ नमों भगवते वासुदेवाये आत्मनों वदनां। Mais informações
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Nome: कराग्रे वसते लक्ष्मिः Saraswati nas mãos. Na raiz da mão está Govinda
अपने जीवन वसन वसन्तमय निर्मित कक हेतु अपनी कामना का स्मरण कर सोलह कला शक्ति माला से चार माला का मंत्र जप करें च चा marca
।। ऊँ नमो योगेश्वर कृष्णत्त्व सर्श
Linha
मंत्र जप समाप्ति के बाद माला को धारण करें जिससे सद सद्गुरूदेव कैलाश श्रीमाली जी द्वारा योग प प्रदाता कृष्ण सम्मोहन दीकारger योग योग पपाताता कृष्ण सम्मोहन दीक्षा योग Para
वसन्त पंचमी सरस्वती शक्ति ललिताम्बा जयन्ती महापर्व पर उक्त साधना दीक्षा आत्मसात् करने से निरन्तर जीवन में सुस्थितियों का विस्ता tarega Linha जिससे आपक आपका और सद्गुरूदेव जी का आत्मीय संबंध निरन्तर बना हे औ औntas आवश्यक है कि ऐसे विशेष महापर्व को अक्षुण्ण ूप में अवश्य ही आत्मसात् करें। समस्त साम्रगी को 27 फरवरी माघी पूर्णिमा पर विसर्जित कर दें।।।।।।
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