शिव की साधना, आराधना, उपासना से ही संसार के समस्त सकल स्वरूप में पदार्थ प्राप्त होते स साथ ही समस्त कामनायें पूjet पू होती ही स स स समस समस्त कामनायें पूjet पू होती होती स स स ही समस Para अन्य देवी-देवता तो फिर भी शक्तियों से बंधे होते हैं और अपनी शक्ति और क्षमतानुसार ही वरदान दे पाते हैं, परन्तु मात्र शिव ही ऐसे देव हैं, भगवान है, जो सब कुछ प्रदान करने में समर्थ हैं। संसार के समस्त मंत्र ऊँ के गुंजरण से ही निकले हैं और उन्ही शिव मंत्रों को गुरू द्वारा प्राप्त कर साधना सम्पन्न की जाये तो सफलता मिलनें में कोई संशय नहीं हैं।
Mais informações Linha भगवान शिव स्त्री और पुरूष स्वरूप में अर्द्धनारीश्वर की अभिव्यक्ति हैं। इसी कारण गृहस्थी लोग उनकी आराधना सर्वाधिक कईंे किसी भी वस्तु को, उसके गुण-दोष का विचार करते हुये य यर्थ pos. Linha यही वास्तविक योग है। O que você pode fazer? संसार में विषमताओ से घिरे marca पर भी अपने जीवन को शान्त एवं स्थिर बनाये marca ही योग का स्व desse
भगवान् शिव अपने पारिवारिक सम्बन्धों से हमें इन्हीं योगमय स्थितियों का ज्ञान प्रदान करते हैं और उनकी आराधना, उपासना कर हमारे जीवन में भी ऐसी योगमय स्थितियाँ निर्मित होती हैं। Linha शिव बैल पर चढ़ते हैं, तो पार्वती सिंह वाहिनी हैं, श्री स्वामी कार्तिकेय को मोर की सवारी पसन्द है और लम्बोदर गणेश जी महाराज को चूहे पर चढ़ना ही सुहाता है। Mais informações सांसारिक मनुष्यों की मनस मनसा हती
भगवान शिव और माता पार्वती के विवाह के सम्बन्ध में एक रोचक कहानी है- देवी पार्वती हिमनरेश हिमवान और उनकी रानी मैनावती की पुत्री हैं। Mais informações Mais informações किंवदंतियों के अनुसार पार्वती के जन्म का समाचार सुनकर देवर्षि नारद हिमालय नरेश के घर पर आये थे और उनके पूछने पर देवर्षि ने बताया कि ये कन्या सभी सुलक्षणों से सम्पन्न है और उनका विवाह शंकर जी से होगा।
इस पर माता पार्वती ने महादेव को पति स्वरूप में आत्मसात् करने के लिये घोर तपस्या की तथा शुभ घड़ी और शुभ मुहूर्त फाल्गुन कृष्ण पक्षीय त्रयोदशी प्रदोष पर्व पर शिव-पार्वती का विवाह हुआ। भगवान शिव पार्वती के दो पुत्र कार्तिकेय तथा गॶणे कई पुराणों के अनुसार इनकी अशोक सुंदरी नाम की पुत पुत्री भी थी।। O que você pode fazer?
Shiv-Gauri Parinaya Mahaparva Shivratri é o festival mais divino para absorver esses sentimentos.O chefe de família que busca pode alcançar condições iogues em sua vida na vida mundana fornecida com Rasa, Anand, Oj, Tej, Shiv Shaktimaya Aadya Shakti Swaroopa Gaurimaya Consciência.
भगवान शिव के अर्धनारीश्वर स्वरूप का यही तात्पर्य है कि शिव-शक्ति स्वरूप में स्त्री-पुरूष एक-दूसरे में एकात्मक भाव से एकाकार हो सके, एक आत्मिक जुड़ाव स्थापित कर गृहस्थ जीवन की उच्चताओं को प्राप्त कर सके। स्त्री-पुरूष के सम्बन्ध में केवल काम की वासनात्मक प्रधानता ना होकर, आन्तरिक, मानसिक, वैचारिक सम्बन्ध बने और वे आपस में समन्वय का भाव स्थापित कर सके और इन सब के माध्यम से आनन्द की प्राप्ति हो, साथ ही कार्तिकेय-गणपति स्वरूप संतान से Mais informações इसी स्वरूप में मह महाशिवरात्रि पर्व प्रत्येक गृहस्थ साधक-साधिका के उच उच्चतममय होता है।। स gas
'काल' शब्द अपने आप में गहरा अर्थ लिये हुये है। एक ओर जहां काल का अर्थ समय हैं, वही दूसरी ओर काल का अर्थ मृत्यु है। Mais informações
न तो वह समय को ोक सकता है औ औ न ही मृत्यु पर विजय प्राप्त कर सकता है। जो व्यक्ति समय को अपने अनुकूल क क सकता, वह सदैव जीवन प पntas इसी प्रकार जो मनुष्य काल अर्थात् मृत्यु के भय से सदैव आशंकित रहता है, उसका जीवन भी दुविधा, चिन्ता, संदेह, रोग,से युक्त रहता है और वह हर क्षण काल के जबड़े में ही रहता है।
Ao completar o Shiv-Gauri Parinay Sadhna, a vida do buscador após alcançar a aposentadoria dos cadáveres permanece ativa com a morte, ao realizar o Sadhna de Shiv-Gauri pelo buscador, há um aumento contínuo na boa sorte ininterrupta, suhaag, felicidade do família da família Shiva.
साथ ही अपने को सही त तntas इसके परिणामस्वरूप गृहस्थ जीवन यश, सम्मान के साथ वंश वृद्धि गतिशील हती
Sadhana Vidhaan
इस साधना हेतु आवश्यक सामग्री है- 'शिव-गौ desse Linha
Depois de fazer uma suástica de sândalo em um vaso, colocando um pano branco em um bajot de madeira, instalando Shiv-Gauri Yantra e Saubhagya Jivat nele, adore Shiva-Gauri com incenso ininterrupto e lâmpada e adore Shiva-Gauri-
देवाधिदेवं करातं प्र;
सदाभवम् भगवती गौरी, por favor
आत्मशक्तिये सदैव महाकाल.
Depois de aplicar Kumkum no Sumeru de Parinay Mala, adore-o e complete 4 rodadas de mantra cantando o seguinte mantra com a mesma guirlanda-
Linha Mais informações sobre como fazer isso
गृहस्थ जीवन का आदर्श स्वरूप भगवान सदाशिव और माता पार्वती ही हैं।।।।।।। इसीलिये प्रत्येक गृहस्थ शिव गौरी को अपना आराध्य मानता है।। जिस प्रकार भगवान शिव का गृहस्थ जीवन क कामनाओं से पूर्ण है।।
पुत्र के marca में भगवान गणपति और कार्तिकेय हैं और सदैव साथ में गौर ा पार्वती सदैव स साथ Linha
गृहस्थ व्यक्तियों के लिये औ और गौरी आदर्श स्वरूप है क्योंकि शिव को marca यह शिव और शक्ति का संयुक्त रूप में अमृत भाव है। जीवन को सभी marca से आनन्दमय बनाने हेतु गृहस्थ जीवन विषपू विषपूर्ण स्थितियों का पूर्णता से निराकरण होना आवश्यक है।।।।।।।।।। इस कुम कुम्भ अमृत शिव-गौरी शक्ति साधना से को को स-अमृतमय बनाया जा सकता है।।। जीवन में नित्य प्रति आनन्द marca की वर्षा होती हे, निरन्तर हर सुबह एक नई प्रसन्नता लेकर जीवन विस विस्तृत होती हे हे प।।।।। हे हे।।।।
यह साधना सम्पन्न करने के शिव शिवरात्रि की र र कत Paranha सामने चौकी पर ताम्र कलश स्थापित करके 'ऊॅं गणेशाय नमः' इस मंत्र का उच्चारण करते हुये पीले चावल 108 बार चढ़ायें और दोनों हाथ जोड़कर प्रार्थना करें।
गुरू चित्र का भी पंचोपचार पूजन करें एक थाली में से स स्वस्तिक चिन्ह बनाकर कुम्भ अमृत शिव-गौ desse नीलकंठेश्वर जीवट के ऊपर रखकर संकल्प ले। धूप, दीप, पुष्प आदि से क का पूजन करके निम्न मंत्र का सौभाग्य प्राप्ति गौरी माला से 7 माला मंत्र जप सम्पन्न करें से। माला मंत्र जप सम्पन्न करें। म मpon
साधना समाप्ति के बाद सम्पूर्ण सामग्री होलाष्टक पर्व 21 मा्च
कुम्भ अमृत शिव-गौरी कार्तिकेय विजयश्री दीक्षासामान्य स्वरूप में युवक सुन्दर, उच्च सुज्ञान, सुसंस्कार से युक्त पत्नी के लिये भगवान शिव का पूजन और अभिषेक करते हैं साथ ही युवतियां संस्कारित, सुन्दर, कामदेव बलिष्ठ वर प्राप्ति के लिये माता गौरी की आराधना करती हैं। शिव परिवार की अभ्य desse विघ्नहर्ता गणपति प्रत्येक शुभ कार्य के प्रारम्भ में पूजनीय है कार्तिकेय की वन्दना सर्व विजयश्री हेतु सम्पन्न की जाती है और पत्नी के रूप में सौभाग्य प्रदान करने वाली देवी पार्वती है।
Linha Linha इन्हें प्रधान देव माना जाता है, भगवान सुब्रमण्यम व मुरूगन देव भी कहा जाता है।। मुरूग का तात्पर्य है, सौन्दर्य, ताजगी, सौरभ, माधुर्य, दिव्यता तथा आनन्द और सुब्रमण्यम का तात्पर्य है ज्ञान, लक्ष्मी, शत्रुहन्ता, मृत्युंजय, निरोगता युक्त हो
अतः प परिवार के सभी गणों से हम अपने जीवन को जीवन्त जाग्रत कर सकते है। उक्त स्थितियों की प्राप्ति के आवश आवश्यक है मह महाशिवरात्रि पर्व पर कुम्भ अमृत शिव-गौ desse कार्तिकेय ऐश्वर्य, वीर्य, यश, श्री, ज्ञान और पूर्णता के प्रतीक है साथ ही जहां कार्तिकेय की पूजा होती है, वहां ज्ञान, वर प्राप्ति, गृह रक्षा, बल वृद्धि से दुष्टों का नाश होता है। Linha Mais informações गणपति विघ्नहर्ता देव हैं, गणपति से ही गृहस्थ जीवन धन धन-धान्य, पुत्र-पौत्र का वर प्राप्त होता है।।। साथ ही शत्रु बाधा से marca
महाशिवरात्रि पर्व ही ऐसा महोत्सव है जो भगवान शिव को भक्त अपने जीवन के विष सन्ताप, दुःख, कष्ट, अर्पित कर जीवन को आनन्द अमृतमय स्थितियों से युक्त कर सकता है क्योंकि भगवान शिव को पूजन स्वरूप में धतूरा, भांग, बेर, आक, बिल्व पत्र अर्पित करते है। जबकि इस तत से विधि विधान से क कntas सभी शिव परिवार के गणो पूज पूजा आराधना करने का महाशिवरात्रि सर्वश्रेष्ठ दिव्य पर्व है।।।।।। अतः सपरिवार साधना पूजा महामृत्युन्जय marca
जीवन के प्रत्येक क्षण को पूर्ण रसमय, आनन्द युक्त, शौर्य, सम्मान, प्रतिष्ठा, ऐश्वर्य युक्त बनाने की क्रिया शिव परिवार की अभ्यर्थना पूजा से ही सम्भव होती है। जब जीवन शव शिवमय की ओ ओ अग्रसर होता है तो शिष्य साधक अनुभव करने लगता हैं कि उनका जीवन पूर्णता की तत लगत लगत बढ़ते आनन आनन उनक पू पू पू gre से की त त त पू पू पू पू पू पू पू पू पू पू पू पू पू पू पू पू पू पू पू पू पू लगत लगत लगतgre जीवन पू पू पू पू पू लगतgre महाशिवरात्रि महापर्व पर कुम्भ अमृत शिव-गौरी शक्ति दीक्षा को आत्मसात कर जीवन को शिव-गौरी कार्तिकेय विजयश्रीमय चेतना से युक्त करें, जिससे जीवन में निरन्तर सर्वस्वरूप में पूर्णता प्राप्त होती रहे।
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