निगम शास्त्र में सम्पू desse सौरमण्डल आग्नेय है, अतः हिरण्यमय कहलाता है। हिरण्यमय- मण्डल के माध्यम में सीर-ब्रह्म-तत्त्व प्रतिष्ठित है, अतः सौर ब्रह्मा को ही 'हिरण्य-ग desse इस प्रकार विश्वाधिष्ठाता हिरण्यगर्भ पुरूष की शक्ति तारा कही गयी है।।।।
आगम शास्त्र के अनुसार महातम के केन्द्र में उत्पन्न होने वाले सूर्य को 'नक्षत् Qualger
ओंकार (प्रणव) को 'तारक' कहा गया है औऔ प्रणवस्वरूपा होने के कारण ही भगवती 'तारा' है होने 'तारा' शब्द का सरलार्थ है- उबारने वाली, तार२े वाली२े वाली२े वालीाली इस प्रकार दैहिक, दैविक औऔ भौतिक- इन तीनों प्रकार के तापों के कारण ही भगवती 'तारा' कही है है क।।।।।। क क क क क भगवती भगवती भगवती त त त त कही कही गयी है है।। क क भगवती भगवती भगवती '
पतंजलि कह कहा है- 1 अविद्या, 2 द्वेष, 3 अस्मिता, 4 रग तथा 5 अभिनिवेश- इन पांच प्रकार के कलेशों से भगवती त तारा अपने साधक की क्षा कक क त त त त त त स स स pos
तारा के प्रमुख तीन स्व desse
साधकों को कठिन दुःख से मुक्त करके भव सागर से पार उतारने वाली हैं। ये साधक को उग्र आपत्ति marca भव-बन्धन से मुक्त कराने वाली हैं।।।।।
O que você pode fazer?
ये स साधक को ज्ञान, विद्या और बुद्धि प्रदान करने वाली हैं।
भगवती तारा के इन तीनों रूपों की साधना करना अत्यधिक फलदायी है, अतः वर्तमान समय में अपने जीवन को परिपूर्ण बनाये रखने के लिये, जीवन को प्रत्येक विपत्तियों से सुरक्षित रखने के लिये तथा घर में सम्पन्नता बनाये रखने के लिये, इन तीनों तत्वों की प्राप्ति के O que você pode fazer? Mais informações
Linha इस साधना को किसी भी जाति और वर्ण का व्यक्तित्व सम्पन्न कर सकता है, साथ ही इस साधना को सम्पन्न करने के लिये उम्र भी बाधक नहीं है, अतः चाहे बालक हो, चाहे युवक हो अथवा वृद्ध हो, कोई भी इस साधना को सम्पन्न कर सकता है। पूर्ण विधान से साधना सम्पन्न करने वाले साधक को जीवन पर्यन्त आर्थिक रूप से कमी का एहसास नहीं होता है, साधक की सम्पूर्ण मनोकामना पूर्ण होती ही है।
O que você pode fazer? Mais informações ं से ऋषि मुनि व हमारे पूर्वज तारा साधना सम्पन्न करते आये हैं, क्योंकि निष्ठापूर्वक की गई इस सा धन; न प्राप्त होता है। Mais informações ्या सिद्ध हो जाती है और भौतिक दृष्टि से जीवन में वह जो कुछ भी चाहता है, उसे प्राप्त हो जाता है।
इस साधना को दिनांक 10 अप्रैल 2022 या किसी म माह के marca विवार की marca marca स्नान आदि कर लाल धोती क कक लाल आसन पर दक्षिण दिशा की ओओ मुख क क बैठ जायें Linha फिर अपने सामने अष्टगंध या गुलाल की 7 ढेरियां बना दें, चौथी ढेरी पर तेल का दीपक स्थापित दीपक के सामने 'तारा वत्सनाभ' को स्थापित कर दें और उसके आगे जलपात्र, कुंकुम, अगरबत्ती आदि ख ख दें जलप।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।
सर्वप्रथम जल यंत यंत्र को धोकर ख दें दें, अक्षत चढ़ा दें, फिर 'तारा वत्सनाभ' को से से धोकर पोंछकर स्थापित कर दें। किसी भोजपत्र अथवा कागज पर माचिस की शलाका या किसी शल शलाका से कुंकुम के द्वारा निम्न मंत्र अंकित करें-
इसके बाद दीपक अग अगरबत्ती जला दें तथा 'मूंगे म माला' से मंत्र जप प्रारमgio करें, इसमें नित नित म मomas माल माल मंत म म gas माला मंत Para जप अनिव म माल माल माल माल माल माल माल माल माल माल माल मंताल मंताल मंताल माल माल माल मार मंतार मंत म म pos. यह साधना रात्रि में सम्पन्न की जा सकती है। जब छठे दिन भगवती तारा के प्रत्यक्ष दर्शन हों, तो उन्हें हाथ जोड़कर प्रार्थना करें कि वह भौतिक जीवन सम्बन्धित सभी इच्छाये पूरी करे और नित्य स्वर्ण प्रदान करें। Inte इस प्रकार करने से स साधना सिद्ध हो जाती है तथा जीवन में वह सब कुछ प्राप्त होता है जो साधक की इच्छा होती है।
वस्तुतः यह साधना अपन; ो इसे सिद्ध कर लेता है, उसके जीवन में किसी प्रका र का कोई अभाव नहीं रहता, प्रत्येक साधक को चाहिये कि वह इस साधना को अवश्य ही सम्पन्न करें।
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