यह रत्न पंच रत्नों में महारत्न कहा जाता है, यह देव गुरू बृहस्पति का पुष्पराज रत्न है, बृहस्पति शुभ कर्मों के प्रेरक और सभी का भला करने वाले देव हैं, इसे धारण करने वाला व्यक्ति शुभ कर्म के लिये प्रेरित होता है, धर्म, कर्म आदि पुण्य कार्यों में विशेष desse संतान सुख, पुत्र प्राप्ति में इसका महत्वपू desse इसलिये यह सभी रत्नों में पवित्र माना जाता है।
इसके द्वारा कन्या विवाह में आ marca बाधाओं को निवारण होता है। इससे पाप-विचारों व कृत्यों का शमन होता है, आध्यात्मिक विचार प्रबल होते हैं और चित्त शांत तनाव मुक्त बना हता है, यह यह एक तन तन pos. MULTIUSO Marca है है, जो धन, विद्या, सन्तान, विवाह व सर्व सुख प्रदाता है।।।। मिथुन लग्न एवं कन्या लग्न वालों का सप्तमेश होने क कारण, इसे धारण करने पर उनका विवाह शीघ्र योग्य एवं मनोवांछित होता उनक विव विव शीघाह शीघ्र योग्य एवं मनोवांछित होता है है वैवाहिक बाधा निवारण में इस marca यह त्न धन प्रदायक व सफल, श्रेष्ठ व्यक्तित्व का निर्माण करता है।।
धनु और मीन र र के व्यक्तियों को त marca desse मेष व कर्क लग्न वालों के लिये यह भाग्य के द्वार खोलता है, 3, 12, 21, 30 तारीख को जन्में लोग व 3 जन्म मूलांक के लिये पुखराज अति लाभकारी है, जो व्यक्ति गुरू द्वारा संचालित हो, अथवा गुरू से दीक्षित हो या जिसकी कुण्डली में गुरू प्रधान हो उनके लिये पुखराज धारण करना आवश्यक है।।।।। किसी ग ग्रह में बृहस्पति का अन्तर चल marca हो तो, पुखराज धारण करें।
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