जो के शिष्य गुरू तत्व marca अतः शिष्य को चाहिये कि वह गुरू तत्व को समझे। उसमें ही जीवन की सार्थकता है।
शिष्य को सदैव गुरू का ध्यान उसी प्रकार करना चाहिये जिस प्रक pos
शिष्य को चाहिये कि प प्रसन्न मन श श्रद्धा पूर्वक गुरू को, अपना परम लक्ष्य बना ले।। इसी माध्यम से वह सौभाग्यशाली बन सकता है।
जब शिष्य 'स्व' को समाप्त कर देता है तो उसके हृदय में गुरू ज्ञान का दीपक प्रज्ज्वलित हो उठता है।
शिष्य के समस्त पाप जनित विघ्नों को समाप्त करने के कारण गुरू शिव स्वरूप हैं। क शिष्य को हरदम ऐसा ही चिन्तन करना चाहिये।
O que você pode fazer? Mais informações र. है।
गुरू शब्द का उच्चारण करना ही जीवन की पूर्णता मानी गयी है।।
जो सद्गुरू की श्रद्धril
शिष्य के गु गुरू का marca समस्त देवताओं में अधिक महत महत्वपूर्ण है क्योंकि वे ही अज्ञान को हटाकर पूर्ण ज्ञान देने में समntas
शिष्य पूरी श्रद्धा से गुरू सेवा में त हत हता है क्योंकि उसी माध्यम से वह आध्यात्मिक और भौतिक सुख की प्राप्ति करताता औ औ औ भौतिक सुख की प्राप्ति करता है है।।। सुख की प पप्र ककात औ औ औ औ औ औ सुख सुख की औ आध gre
गुरूतत्व विशुद्ध रहस्यमय ज्ञान है। इसे प्राप्त करने के शिष शिष्य का मन पावन और निर्मल होना चाहिये।
É obrigatório obter Guru Diksha do reverenciado Gurudev antes de realizar qualquer Sadhana ou tomar qualquer outro Diksha. Por favor entre em contato Kailash Siddhashram, Jodhpur NFT`s E-mail , WhatsApp, Telefone or Enviar solicitação obter material de Sadhana consagrado e energizado por mantras e mais orientações,