पुरूष हमेशा आधा हृदय पक्ष से और आधा बुद्धि पक्ष से सोचता है।।। एक क्षण सोचता है, कि यह उचित य या अनुचित, करना चाहिये कि क कntas O que você quer? यह बुद बुद्धि सोचती marca है और अगर मनुष्य ऐसा सोचता है, तो प प्रेम नहीं कर सकता।
शिष्य भी स्त्री बनकर गुरू . ै, हृदय पक्ष को जाग्रत करके अपने आप में चेतना प् राप्त कर सकता है, उस भावना को प्राप्त करके कि रेत ा केवल एक ही चिंतन, एक ही तथ्य, एक ही धारणा है कि अ पने जीवन में गुरू को आत्मसात कर सकूं, जीवन में ही नहीं, अपने प्रा ण में आत्मसात कर सकूं, प्राणों में ही नहीं मेरे र ोम-रोम में रेशे-रेशे में, रग-रग में गुरू स्थापित हो सके।
Mais ो क्रिया है, गुरू में डूब जाने की जो क्रिया है, वह प्रेम के माध्यम से ही सम्भश
Mais informações कण-कण में मैं ही स स्पन्दित हो marca हूँ, कण-कण में मैं ही सु सुसु हो हो हा हूँ।। अपने बगल में खिले उस पुष्प को देखो! O que você quer?
यह बात और है कि तुम उस लय को देख पाओ या न देख पाओं, उसके कहे गीतों को सुन पाओ या न सुन पाओ, किन्तु इसमें न्यूनता उस पुष्प की नहीं है, पुष्प ने तो अपना कार्य कर दिया, कर के विलीन हो गया। यह तो क्षण पकड़ने की बात होतXNUMX
Linha जो सौन्दर्य अपने एक एक में तुम्हारे समक्ष कहीं पुष्प बनकर खिला है, तो कहीं आकाश में-प्रतिपल बदलते marca में तो कहीं आक।। एक आकाश तो तुम्हारे भी भीतर है वत्स! O que você quer? वहीं भ भादो के घने मेघों त तरह तैर हैं अनेक साधना सिद्धियां!
साथ ही मेरा स्वप्न तो यह भी है कि मेरे शिष्य उस पवित्र भूमि का स्पर्श कर, अपने जीवन को धन्य कर, उसकी चेतना से ओतप्रोत हो कर, वहाँ की स्निग्धता में तरल होकर, वहां की पावनता से पवित्र होकर वहां की ज्योतस्ना से शुभ्र होकर पुनः सम समाज में औ और समाज को स्पष्ट और प्रामाणिक विवरण दे सकें।।।।।।। बता सकें कि बिना भौतिकता को छोड़े हुये भी कैसे जीवन के स सर्वोच्च लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता है।
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