Mais informações तो तुम कहां से देखोगे, क्योंकि देखने का भाव तुम् Mais informações O que você pode fazer?
Mais informações क्रिया को 'कुण्डलिनी जागरण' कहते है। सूक्ष्म जगत में व्यक्ति कुण्डलिनी के माध्यम स े जाता है, उस गुरू की कृपा से, ठोकर से, चेतना से, उ सके विचार से, उसके व्यवहार से, उसके कहने के अनुसा र।
O que você pode fazer? ा भाव कुछ और होगा, तब तुम्हें देखने का आनन्द आयेग ा। जिस दिन तुम्हारें अन्दर ऐसा भावआयेगा। Mais informações
Mais informações आन्तरिक रूप से भी सुखी व सफल हो, और आन्तरिक रूप स े सुखी होने के लिये यह आवश्यक है कि वह धर्म का आस रा ले, शास्त्र का आसरा ले।
Mais informações ुभूत क्रिया है। वह चाहे भूः लोक हो, भुवः लोक हो, स्वः लोक हो, महः लोक हो, जनः लोक हो, तपः लोक हो और चाहे सत्यं लोक ह ो, ये समस्त लोक शरीर के अन्दर के लोक और सातवें द् Mais informações ।
विज्ञान की एक लिमिट है, एक सीमा है, वह बाहरी जीव न के चिन्तन को तो दे सकता है, पर आन्तरिक जीवन के आ नन्द को वह प्रदान नहीं कर सकता——– और आन्तरिक जीवन के आनन्द को प्रदान करने की क्रिया को ही ''ध्यान '' कहते है, ''साधना'' कहते है, ''समाधि'' कहते है। इस ध्यान, समाधि और साधना को जीवन का आवश्यक तत्व Mais informações
Mais ोग कर रहा हूँ, 'सुख' शब्द का नहीं। सुख तो बाहरी वस्तुओं से प्राप्त हो सकता है, आनन ्द नहीं। आनन्द तो आन्तरिक . ा है और आन्तरिक अनुभूतियाँ जब हम सातवें द्वार त क पहुँचते है, तब प्राप्त हो सकती हैं।
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