माता पार्वती ने 108 वीं बार जब जन्म लिया और हरिद्वार के मनसा देवी मंदिर में घोर तपस्या की पुराणों की कथा के अनुसार, श्रावण मास की शुक्त पक्ष की तृतीया को भगवान शिव देवी पार्वती की तपस्या से प्रसन्न हुये और उन्हें दर्शन दिये साथ ही उन्हें अपनी पत्नी बनाने का वरदान दिया था। इस उत्सव को मनसा शक्ति पर्व भी कह सकते हैं। Linha Linha
Linha सुहागिन सaduranha हिंदू धर्म की मान्यताओं के मुताबिक यह त्योहार पति के प्रति पत्नी के समर Pararea इस linha
भगवान शिव ने पार्वती जी को उनके पूर्व जन्म में किये गये व्रत और तप के महात्म्य के बारें में बताते हुये कहा कि, ''हे गौरी आपने एक पूर्व जन्म में शिव को पति रूप में पाने के लिये पर्वतराज हिमालय पर स्थित गंगा के तट पर Linha बिना अन्न के आपने पेड़ों के सूखे पत्ते चबा कर बिे चबा कर बिे इसके साथ ही माघ के महीने में घनघो घनघो घनघो शीत में आपने में में रहकर तप किया। इतना ही नहीं वैशाख में हाड़ जला देने वाली गर्मी में पंच पंचाग्नि से शरीर को तपाया था।।। श्रावण की मूसलधार वर्षा में बिना अन्न-जल ग्रहण किये तपस तपस्या की थी।।।।।।।। इस तपस्या को देख आपके पिता बहुत दुःखी होते थे। एक दिन तुम्हारी तपस्या तथा पिता के क्लेश को देखकर नारद जी घ घघ आये औ औ वह भगवान विष्णु का संदेशा लाये थे।। आपकी कन्या का तप देख कर भगवान विष्णु बेहद प्रसन्न है और वह विव विवाह करना चाहते हैं।।।
नारद जी की बात सुनकर गिरिराज बहुत प्रसन्न हुये और नारद जी से कहा कि यदि स्वयं भगवान विष्णु मेरी कन्या से विवाह करना चाहते है तो मुझे क्या आपत्ति हो सकती है। Inte इस मानसिक कष्ट को जब आपकी सहेली देख देखा तो आपक आपका अपहरण कर आपको जंगल में ले आई औऔ वहां छुपा कर दिय दिय औ औ औ वहां छुपा का करख दिया और यहीं आपने सालो घनघोर तप किया। दिया औऔ यहीं आपने सालो घनघोर तप किया। दिय दिया औ औ आपने सालो घनघोर तप किय किया। आपके पिता ने विष्णु जी को दिय दिया था इसलिये आपकी खोज शुशु हो हो।।। थ थ थ इसलिये शु शु शु हो गई।। इधर तुम्हारी खोज होती ही और उधर आप अपनी सखी के साथ नदी के प प प एक गुफा में मेरी आराधना में थीं थीं।। गुफ गुफ मे मे आntas
भाद्रपद शुक्ल तृतीया को हस्त नक्षत्र था। उस दिन आपने रेत के शिवलिंग का निर्माण करके वऍ॰त मेरी स्तुति के ग गाकर जागती ही औ औntas आपकी कष्ट साध्य तपस्या के प्रभाव से मेरा आसन तक लग लगा था ओर मेरी समाधि टूट गई थी। इसके बाद में समक समक्ष पहुँचा और आपसे वर मांगने को कहा तब आपने मुझे कहा कि '' मै हृदय से आपको पति ूप ूप में व वntas यदि आप सचमुच मेरी तपस्या से प्रसन्न होकर आप यहां पधारे है तो मुझे अपनी अर्धांगिनी ूप ूप में स स्वीकार कर लीजिये। ''
तब मैं तथास्तु कह क कैलाश पर्वत पर वापस लौट गया और आपने पूजा की समस्त सामग्री को नदी में प्रवाहित करके अपनी सहेली सहित व को क पालन कियाहित करके अपनी सहेली व व्रत में पालन कियाहित करके अपनी सहेली व व्त क पालन कियाहित कक क अपनी सहित व व gre उसी समय अपने मित्र-बंधु व दरबारियों सहित गिरिराज तुम्हें खोजते-वह वहां आ पहुँचे और तुम्हारी इस कष्ट साध्य तपस्या का उदेश्य पूछा कषा। साध्य तपस्या का उदेश्य पूछा।।। सedade आपकी दशदश को देखक गिntas मेरी तपस्या से प प्रसन्न हो कर मुझ से विवाह करने को marca हो हो गये हैं।।।।।। क
आपने मेरा विष्णुजी से विवाह तय किया था इस कारण मैं यहां जगल में आ गइ थी।।।।।।।।।। तब मैं स साथ इसी शर्त पर घर जाऊँगी तब गिरिराज मान गये और तुम्हें घर ले गये। कुछ पश्चात् उन्होंने हम क का विवाह विधि-विधान से कर दिया। हे पार्वती! भाद्रपद की शुक्त तृतीया को आपने मेरे लिये व व्रत किया इसके परिणाम स्वरूप मेरा तुमसे विवाह हो सका। इसलिये व व्रत का महत्व बहुत औ औntas
हिन्दू धर्म में व व्रत, उपवास बताये गये हैं, व्रत उपवास करने से शारीgio, मानसिक, आत्मिक शुद्धि संभव हो पाती है Linha हिन्दू संस्कृति में अधिकांश व्रत सौभाग्य से सम्बन्धित होते हैं अर्थात् हर स्वरूप में जीवन की दुर्गति को समाप्त करना और गृहस्थ जीवन को श्रेष्ठमय बनाना और यह कार्य स्त्री स्वरूपा मां ही श्रेष्ठ रूप में करती है।
इसलिये स्त्रियों का जीवन धार्मिक कार्य, नित्य पूजन, उपवास, व्रत आदि की क्रिय deveria अपने प्राकृतिक स्वभाव के कारण स्त्रियों को ध धार्मिक क्रियाओं में संतुष्टि, संतोष आनन आनन्द भी प्राप्त होता है।
Linha स्त्रियां इस व्रत को अखण्ड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए रखती हैं, तो वही कुंवारी कन्यायें योग्य वर प्राप्ति के लिए इस व्रतीय नियम का पालन करती हैं। यह व्रत निराहार व निर्जला स्वरूप रखा जाता है।
É por isso que se acredita que neste dia, juntamente com o jejum, ao adorar Mahadev-Gauri com devoção, seguindo rituais e cantando mantras, as mulheres são abençoadas com boa sorte ilimitada, felicidade infantil, saúde, beleza, consciência hipnótica.
Linha संसारिक जीवन में अखण्ड सुहाग की वृद्धि हेतु प पर्व का विशेष महत्त्व है।
Sadhana Vidhaan
हरियाली तीज 11 अगस्त बुधवार को स्नान आदि से निवृत होकर शुद्ध वस्त्र धारण कर पूजा स्थान में अपने सामने एक चौकी पर एक थाली में सिन्दुर से स्वस्तिक बना कर उस पर अखण्ड सुहाग सौभाग्य वृद्धि शिव लक्ष्मी यंत्र व गौरी शंकर रूद्राक्ष स्थापित कर शुद्ध घी का दीपक Linha अखण्ड सौभाग्य व इच्छाओं की पूर्ति के प प्रार्थना कर भगवान शिव-गौ desse
प्रेम शक्ति शिव गौरी माला से निम्न मंत्र कीप माले-्र कीप माले-ीप माले
Depois de cantar o mantra, execute Shiv Aarti. Coloque Gauri Shankar Rudraksha em um fio vermelho e use-o em volta do pescoço e ofereça o Yantra Mala a qualquer templo de Shiva ou aos pés do Guru.
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