ऐसे अद्वितीय स्व desse विशुद्ध चक्र के वाहन शक्ति मदमस्त ऐरावत हाथी है जिनका 6 सुंड काम, क्रोध, द्वेष, लोभ, मोह, ईर्ष्या का प्रतिक है। ललिताम्बा स्कंधमाता के आराधना से षडरीपू का शमन षडरीपू का शमन शमन
सन्तान के व वात्सल्य और ममता के कारण माँ सब कुछ देने के लिए तत्परहती है।। इसी प्रकार श्री विद्या स्कंधमाता शक्ति स्वरूपा ललिताम्बा की उपासना करने से साधक को सब कुछ प्राप्त होता है, सारी इच्छायें पूर्ण होती हैं। ूखे ूखे सुखे जीवन में स सरसता, मधुरता, लालित्यता, सुन्दरता, आनन्द, प्रसन्नता और योग-भोग की स्थिती प्राप्त होती है है सुआचरण, सुव्यवहार, सुसंस्कार की प्राप्ति ॹोती ह
Mais informações Mais informações , अत्यंत क्रोध, अत्यधिक लोभ-लालच, Mais ति, दूसरे के प्रति जलन-ईर्ष्या और शुत्रता बैरता द्वेष के भाव समाप्त होते.
Linha वही स्वरूप निन्दित कुत्सित घृणित कर्म करने वाले, सर्वथा काम क्रोध, लोभ आदि से युक्त होने वाले भण्डासुuto
उसी भण्डासुर के प्रकोप से त्रिलोक में हाहाकार महाकार महाकार जब शिव तीस तीस तीस आंख की अग्नि से काम को भस्म किया, उससे काम का केवल ूपान्तर हुआ औऔ भसाम क प केवल ूपedade धातु की अपेक्षा भस्म में अधिक गुण होते हैं। कहने का तात्पर्य है क काम जो अहंकार का भी बीज है है, उससे घृणा अथवा क्रोध करने से समाप्त नहीं सकत सकता। ऐसा करने पर वह दब जायेगा। लेकिन कालान्तर में फिर प्रकट हो सकता है। इसी कारण काम भस्म होने पश पश्चात् भी उसकी उत्पत्ति हुई औऔ पुनः उसकी उत्पत्ति महाघोर ूप हुई में पुनः पुनः उत उत्पत्ति महाघोरूप में होती पुनः। जिससे वह महान अनर्थकारी होता है।
भण्डासुर तो सभी प्रकार के विकार, विकृत इच्छायें, छल, झूठ, विश्वासघात, कपट, घृणा, क्रोध, दुर्बुद्धि, दुर्व्यसन, मांस-मदिरा सेवन, कुसंस्कार, दरिद्रता और गरीबी है। पराविद्या स्कंधमाता पंचमी शक्ति का ललिताम्बा स्वरूप इन्हीं नकारात्मक शक्ति को परिवर्तित कर साधक को लालित्यता, कोमलता, सौम्यता, माधुर्यता, स्निग्धता, वात्सल्यता, स्नेह, करूणा, प्रेम, आनन्द, सौन्दर्य, सात्विक काम शक्ति, ओज, तेज, आकर्षण, सम्मोहन, धन , सुख-सौभाग्य प्रदान करती है। Linha जिससे साधक सभी सुखों भोगता हुआ मोक्ष को प्राप्त करने में सफल हो पाता है।।।।
इस साधना को सम्पन्न करने हेतु 10 अक्टूबर 2021, marca को को प्रातः स्नान आदि के बाद लाल-पीला साफ वस्तadurager आदि बाद लाल पीला साफ वस्त Parager सामग्री- श्री लक्ष्मी ललिताम्बा यंत्र, पंचमी शक्ति माला, रसराज गुटिका, तथा अष्टगंध, कुंकुंम, पांच तेल का दीपक, अक्षत, पुष्प, इलायची, केशर, मिष्ठान, पंच-पात्र जल। लकड़ी के बाजोट के ऊपर लाल कपड़ा बिछाकर उसके ऊपर तांबे या स्टील के थाली में पुष्प पंखुडी फैलाकर, बीच में श्री लक्ष्मी ललिताम्बा यंत्र रखें और पंचमी शक्ति माला को यंत्र के ऊपर गोलाकार में रखें फिर उसके बीच में रसराज गुटिका स्थापित करें। एक दीपक यंत यंत्र के सामने और अन्य चारों को चार दिशा में चावल की ढेरी के ऊपर स्थापित करें, अगरबत्ती जलायें। अब पवित्रीकरण करें-
ऊँ अपवित्रः पवित्रे वा सर्वावस्थां .
यः स्मरेत पुण्डरीकाक्षं सः बाह्याभ्यान्िरः शुयान्िरः शु्िरः
Mais informações च वाले दीपक के उद्देश्य से अर्पित करें-
OM GAM GANAPATIYE GAM NAMAH. OM BHAM BHAIRAVAYA BHAM NAMAH.
संक्षिप्त में गुरू पूजन करे. ू चित्र पर चन्दन, कुंकुंम, अक्षत और पुष्प अर्पित करे
आनन्दमानन्दकरं प्रसन्नं ज्ञानस्वरूपं निपमोधर्पमोधर
योगीन्द्रमीड्यं ou ित्यमहं भजामि
गुरू मंत्र का 1 माला जप करें और गुरू प्रारेथना करेथना करेथना करेथना
O que você pode fazer?
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Aplique cinco pontos de açafrão kumkum no yantra.
चन्दन, पुष्प, अक्षत, मिष्ठान फल, पांच आचमन्य जल अर्पित करें। O que você pode fazer? ्रीं अक्ष्य मालाये नमः मंत्र से चन्दन, कुंकुंम और जल अर्पित करे और निम्न मंत्र जाप करें।
उसके बाद 5 माला 9 दिन तक जप करें। प्रतिपदा से 9 दिन तक या पंचमी से 9 दिन तक जप करें, जप के पश्चात् प्रति दिन दुर्गा आरती और गुरू आरती सम्पन्न करें, फिर हाथ में पुष्प अक्षत लेकर क्षमा प्रार्थना करें। प्रसाद ग्रहण करें। 9 दिन बाद यंत्र माला को लाल कपड़े में क कर गुरू चरण में अर्पण करें, marca गुटिक गुटिका को लाल या पीले धागे में गले ध गुटिकाण ल ल ल ल य य य यgre बाद में विजयदशमी पर्व पर desse
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