Linha यह बताया गया है कि कमरख स्वाद में मीठा और प्रकृति में अम्लीय होता है।।।।। इसकी तासीर गर्म और भारी होती है। यह तीखा भी होता है। इसका पका हुआ फल मीठा और ताकत देने वाला होता है
कमरख के फल खट्टे और मीठे दोनों किस्म के होते हैं किस्म के होते हैं फल खुशबूदार और गूदेदार होते हैं। ये फल रसीले भी होते हैं। खट्टे और मीठे फलों आध आधार पर कमरख की दो प्रजातियाँ होती हैं।।।।।।।। इन दोनों का प्रयोग दवाओं के लिए होता है।
कमरख के पत्तों का रस रक्तचाप कम करने में मदद करत कमरख का पेड़ 5 से 10 मीटर ऊँचा होता है। यह पेड़ काफी घना और सुन्दर होता है। इसमें कई शाखाएं-प्रशाखाएं होती हैं। इसके पत्ते साल भर हरे रहते हैं। कमरख के फल 7- 5 से 10 सेंटी मीटर लम्बे होते हैं। ये कच कच्चे marca पर हरे और पक जाने पर पीले ंग के के होते। पक पक ज जाने इन फलों में 3 से 5 तक की संख्या में सिरे होते हैं। कई बार ये तारे के आकार के होते हैं।
अनेग (OXALIDÁCEAS) कुल का पौधा है। Mais informações (AVERROA CARAMBOLA) है। वनस्पति विज्ञान में इसे ऐवेरोआ एक्युटेंगुलऍसुटेंगोलऍसुटेंगुलऍसुटेंगुलऍसुटेंगुलऍसलऍ (AVERRHOA ACUTANGULA STOKES) भी कहा जाता है। कमरग (MAÇÃ CARAMBOLA) Eles dizem. Em inglês é chamado Chinese Gooseberry (GROSSA CHINESA) e carambola (CARAMBOLA) जैसे नाम भी प्रयोग किये जातृ आइये, जानते हैं कि हिंदी समेत अन्य भाषाओं में कमरख के नाम क्या क्या हैं- हिन्दी- कमरख, करमल, कमरंग अंग्रेजी- कैरम्बोला एप्पल, चाईनीज गूसबैरी, स्टार फ्रुट संस्कृत- कर्मरंग, विशाल, बृहदम्ल, रूजाकर, शुकप्रियम उर्द-कमरख आसामी- कारदई उडि़या- कोरोमोन्गा कन्नड़- दारेहुलि, कमरंगा गुजराती- कमरख, तररक तेलगु-तमरता तमिल-तमरट्ई सगदम बंगाली-कमरंगा नेपाली-मधोन फल, मराठी- कमलर, कर्मर, कमरख मलयालम- कमरंगम, पुलिन्जी
Benefícios e usos de kamarkha
Mais informações ं :-
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दमा के marca को सांस में दिक्कत आती औ औntas यह marca असाध्य होने ह हालत में कमरख के क का 1 से 2 ग्राम चूर्ण का सेवन करें। इससे दमा पर नियंत्रण होता है और शीघ्र आराम ८िलता आराम मिलता
O que você pode fazer?
कमरख का सेवन हृदय को स्वस्थ रखनृ खासकर एन्जाइना (ANGINA) नामक बीमारी में कमरख के पत्तों का काढ़ा बनाकर सेवन करें। 10 से 20 मिली सेवन करने से लाभ होता है।
O que você pode fazer?
उल्टी और दस्त होने ह हालत में कमकम के के बेहद लाभदायक होते हैं।।।।।।।।।।। इनके सेवन से अत्यधिक प्यास लगना भी रुकता है। कमरख के क का 5 से 10 मिली marca का सेवन कक से खूनी पेचिश की बीमारी ठीक होती है।।।।।।।।।
कमरग में लाभकारी
कमरख पेट को अनेक फायदे पहुंचाता है। कमरख के पत्तों का काढ़ा 10 से 20 मिली मात्र में पीने से पेट के कीड़े म जाते हैं। कमरख के बीज के 1/2 ग्राम चूर्ण का सेवन करने से क का दर्द ठीक होता है।
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खूनी बवासीर के मरीज को कमरख के क का 5 से 10 मिली स ोज ोजाना पिलाने से खूनी बवासीर स लाभ होता पिल।।। रस उपलब्ध नहीं हो तो 1 या 2 फल को marca खाने से भी आन आना बंद हो जाता है।।
कमरग
स्कर्वी रोग विटामिन सी की कमी के कारण होता है। स्कर्वी से व व्यक्ति को खून की कमी, अपंगता, लगातार खून बहना इत्यादि समस्याएं ऐसा होने पर रोगी को कमरख के पके हुए फल खाने चाहिएे चाहिए रोगी को लाभ होता है।
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कमरख वजन को नियन्त्रित करने में महत्वपूर्ण . O que você pode fazer? Mais detalhes में मदद करता है।
पाचन तंत्र को बृ
एक marcaिस के अनुस अनुसार कमरख की पत्तियों में पाचन तंत्र को क करने की क्षमता होती है।।। इससे पाचन तंत्र बेहतर तरीके से काम कर पाता है।
डायबिटीज को कंट्रोऴ
Mais informações सहायक होता है एक रिसर्च के अनुसर ात्र रक्त में नियन्त्रित करने में मदद करता है।
कोलेस्ट्रोल कम करने में फायदेमंद कमरख फल का सेवख फल का सेवन
एक marca िस desse
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कमरख में क काम्प्लेक्स विटामिन्स पाए जाते हैं जो ब बालों की मजबूती के लिए उपयोगी होता है। ब।। की मजबूती लिए भी उपयोगी होता है।।।
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एक marcaिस के अनुस अनुसार कमरख में कैल्शियम उचित मात्र में पाया जाता है।।।।।।। यही हडड्यिों को भी मजबूत करता है।
कमरख के विभन्न भागों का प्रयोग औषधि के लिए किया जाता है- जड़, पत्ते, फल, फूल, बीज, तना के ऊपर की लताये उपरोक्त भागों के औषधि रूप में कमरख के प्रयोग के विभिन्न तरीके ऊपर बताये गए हैं। उसके अनुसार चिकित्सक के परामर्श से बनाकर इसका सेवन किया जा सकता है।
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Sessão 5-10 Sessões
अन्य रूप मर्शानुसार
O consumo excessivo de kamarkha pode causar essas desvantagens-
कमरख के फल बहुत ज्यादा सेवन से कब्ज पैदा हो जाती हो जाती
कच्चे फल ज्यादा लेने से छाती में दर्द व जलन हो सकती है।।।।
इसलिए बेहतर होता है उपच उपचार के लिए इसका प्रयोग करने से पहले चिकित्सक की marcaय ले ज जाए
कमरख कहाँ पाया या उगाया जाता है कमरख अपेक्षाकृत गर्म प्रदेशों में मिलता है। यह समस्त भारत के गर्म क्षेत्रें में तथा बाग बगीचों मिलता है।। यह उत्तराखण्ड, उत्तर प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र तथा उड़ीसा के मैदानी एवं पहाड़ी क्षेत्रें में 1200 मी ऊँच ऊँचाई तक प पundo जाताता है में में में मी ऊँच ऊँचाई तक पाया जातात है है
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