संतुलित जीवन की कोई बंधी बंधायी परिभाषा नहीं है शास्त्रें में बताया गया है, कि जिससे भी जीवन सुखमय हो सके, जिससे भी जीवन में आनन्द प्राप्त हो औ औ जिससे जिससे जीवन पू पूntasणत पाप सके वह औ औ जिससे जिससे जीवन पू पूntas. योग वशिष्ठ ने जीवन के चौदह सूत l सूतedade Linha इस जीवन में यदि व्यक्ति चाहे तो अपने जीवन को साधना के द्वारा पूर्णता दे सकता है, अपने जीवन में जो न्यूनताएं हैं, जो कमियां हैं, उनको परिपूर्ण कर सकता है और ऐसे ही संतुलित जीवन की कामना हमारे ऋषियों ने की है। योगी वशिष्ठ के अनुसार संतुलित जीवन निम निम्न चौदह सूत्र हैं।
1- सुन्दर, रोग रहित स्वस्थ देह।, 2- पूर्ण आयु प्रा प्ति।, 3- मन में प्रसन्नता और आनन्द का अतिरेक।, 4- स फल और पूर्ण गृहस्थ जीवन।, 5- Dias ी सुन्दर स्वभाव वाली पत्नी।, 6- सौभाग्यशाली और उन्नति से युक्त पुत्र-पुत्रियां।, 7- शत्रु र हित सम्पूर्ण जीवन।, 8- राज्य में सम्मान और निरन्त र उन्नति।, 9- निरन्तर व्यापार वृद्धिऔर आर्थिक ृष्टि से सम्पन्नता।, 10- तीर्थ यात्राएं, व्रत, उद् यापन, मन्दिर निर्माण और समाजिक कार्य।, 11- शुभ एवं श्रेष्ठ कार्यों मे ं व्यय।, 12- वृद्धावस्था का निवारण और चिरकालीन पौ रूष प्राप्ति।, 13-अपने जीवन में गुरू और इष्ट से सा Rua 14- मृत्यु के उपरान्त सद्गति और पूर् ण मोक्ष प्राप्ति।
पूपू के पू पूntas यदि इनमें से कुछ न्यूनता है, यदि इनमें से एक बिन्दु भी कमजोकमजो है, तो वह सम्पूर्ण जीवन जीवन नहीं कह कहा जा सकता है है मनुष्य के लिए यह अवसर दिया है कि वह पूर्ण संतुलित जीवन प्राप्त करे, उसके जीवन में यदि अब तक कोई भी न्यूनता रही हो, यदि उसके जीवन में किसी भी प्रकार का असंतुलन रहा हो तो इस साधना से वह असमानता, न्यूनता और अभाव निश्चित रूप से दूर हो जाते हैं और वह थोड़े ही दिनों में संतुलित जीवन प्राप्त कर लेता है। ऐसी ही साधना को 'शाकम्भरी साधना' कहा गया है।
भगवती दुर्गा की साधना करते हुये कहा गया है कि तुम सही रूप में शाकम्भरी बनकर मेरे जीवन में आओ जिससे की मैं अपने जीवन में सभी दृष्टियों से पूर्ण संतुलन प्राप्त कर सकूं, मेरा जीवन पुत्र-पौत्र, धन-धान्य, यश-समृद्धि से परिपूर्ण हो और किसी प्रकार की कोई न्यूनता न रहे। सप्तशती में जहां शाकम्भरी देवी का वर्णन किया है, वहां स्पष्ट रूप से उल्लेख आया है कि भले ही मैं भगवती दुर्गा के अन्य रूपों का स्मरण न करूं, भले ही मुझे आराधना, साधना या पूजन विधि का ज्ञान न हो, भले ही मैं पवित्रता के साथ मंत्र उच्चारण न कर सकूं, परन्तु मेरे जीवन पर भगवती शाकम्भरी सदैव ही पूर्ण कृपा दृष्टि बनाये रखें, जिससे की मैं इस जीवन में ही धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष इन चारों पुरूषार्थों की प्राप्ति करता हुआ, समाज में सम्मान और यश अर्जित करता Mais informações
वास्तव में ही यह 'शाकम्भरी पूर्णिमा' प्रत्येक व्यक्ति के लिए आवश्यक ही नहीं अनिवार्य भी है, क्योंकि जब हम अपने जीवन पर दृष्टि डालते हैं तो जीवन में कई न्यूनतायें एवं असमानतायें दिखाई देती हैं। पुत्र का आज्ञाकारी न होना, पति-पत्नी में कलह, विविध प्रकार के रोग, मानसिक तनाव, बन्धु बान्धवों से विरोध, निरन्तर शत्रु भय, अचानक आने वाली राज्य बाधाएं आदि ऐसी सैंकड़ों समस्याएं हैं, जिनसे हमें निरन्तर झूंझना पड़ता है। हमारी शक्ति का बहुत बड़ा हिस्सा इस प्रकार की समस्याओं के निराकरण में और झूंझने में व्यतीत हो जाता है, हम अपने जीवन में जो कुछ नूतन सृजन करना चाहते हैं, वह नहीं कर पाते और एक प्रकार से सारा जीवन हाय-तौबा, आशा निराशा और विविध प्रकार के marca से तथ तथा मानसिक संताप में व व्यतीत हो जाता है।।।।।।।
साधक के लिए शाकम्भरी दिवस एक वरदान की तरह है, जीवन की एक अमूल्य पूंजी है, जो इस अवसर का उपयोग नहीं कर पाता, वह वर्ष का एक अत्यन्त महत्वपूर्ण अवसर चूक जाता है, वह जीवन के सौभाग्य से वंचित रह जाता है, वह जीवन Mais informações
शाकम्भरी ही शिव परिवार से युक्त हैं। जिस तरह से भगवान महादेव का परिवार सृष्टि में परिपू desse शिव परिवार में लक्ष्मी स्वरूपा माता गौरी हैं और उनकी श्रेष्ठ संतान कार्तिकेय और विघ्नहर्त्ता गणपति हैं साथ ही ऋद्धि-सिद्धि और शुभ-लाभ जैसे गुण भी हैं। ऐसा ही हमारा परिवार बन सके जिससे की हमारा जीवन संतुलित रह सके यों तो यह साधना वर्ष में किसी भी शुक्रवार को सम्पन्न की जा सकती है, परन्तु यदि शाकम्भरी पूर्णिमा के अवसर पर इस साधना को सम्पन्न किया जाये तो निश्चय ही हमारें जीवन में जो कमियां हैं, वे दूदू हो पाती हैं, और हम सभी दृष्टियों से सफलता के प पर अग्रसर हो सकते हैं औऔ जीवन में पू पूर्णता की प्राप्ति संभव होती ही में है पू पू पू पू पू gre हम ज्यों ही साधना सम्पन्न करते हैं, त्यों ही जीवन में अनुकूलता प्रारम्भ होने लगती है और जीवन की जो कुछ न्यूनताएं हैं, जीवन की जो कुछ कमियां हैं, वे अपने आप ठीक होने लगती है। वास्तव में यह साधना मानव जाति के लिए वरदाप स्।रूप स्।रूप स्वरूप स्वरूप स्वरूप स्।रूप स्।रूप स्वरूप
साधक इस दिन प्रातः उठ कर स्नान कर धोती धारण करे, स्त्री साधिका हो तो पीली साड़ी पहिने फिर पूजा स्थान में या पवित्र स्थान पर बैठ जाये और सामने एक लकड़ी का बाजोट रख कर उस पर पीला रेशमी वस्त्र बिछा दें और उस पर अत्यन्त दुर्लभ और महत्वपूर्ण 'शाकम्भरी महायंत्र' को स्थापित करेंरेंि Linha सामान्य ूप से इस प प्रकार के यंत्र का प्रारम्भ पूर्व भाग से होकर दक्षिण, पश्चिम और उत्तर भाग में होता हुआ सम्चिम होता उत्तर भाग
साथ ही साथ इसमें वह 108 महादेवियों की स्थापना विशेष विधान के साथ उस यंत्र में स्थापित करें ताकि यह यंत्र सभी दृष्टियों से पूर्ण सौभाग्यशाली बन सके, यही शाकम्भरी महायंत्र का रहस्य हैं, तत्पश्चात इसमें मार्कण्डेय ऋषि प्रणीत प्राण प्रतिष्ठा साधना सम्पन्न की जाती है। यंत्र स्थापित कर पुष्प तथा नैवेद्य अर्पित कर उसका संक्षिप्त पूजा सम्पन्न करें। Linha
Linha ये मात्र पंक्तियां नहीं हैं, अपितु प्रत्येक पंक्ति अपने आप मंत मंत्र है, प्रत्येक पंक्ति का अपने आप में प्रभाव है अतः साधक को चाहिये कि वह पंक पंक्तियों का 7 बार उच्चारण करे।
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मंत्; Mais informações sobre como fazer isso O que você pode fazer? ्र को अपने घर में स्थापित करता हुआ, भगवती शाकम् भरी को अपने शरीर में समाहित करता हुआ, ou प्राप्ति Mais informações ल लिये ही साधक की जो भी इच्छाये हो, साधक के जीवन क ी जो भी न्यूनताएं हो और साधक अपने जीवन में जो भी चाहता हो, उसका उल्लेख कर दें और फिर वह हाथ में लि या हुआ जल जमीन पर छोड़ दें।
इसके बाद निम्न शाकम्भरी मंत्र की 11 माला मंत्र 'मरगज माला' से जप करें। मंत्र जप के बाद साधक को यह माला गले में धारण करनी चाहिए अथवा जीवन में जब भी बाधा नजर आ रही हो, जब भी कोई परेशानी हो, तब घण्टे दो घण्टे के लिए यदि यह माला गले में धारण कर ली जाती है, तो वह तनाव , बाधा अपने दू दूदू होने लगती है या उसका कोई न कोई प प्राप्त हो जाता है।
मंत्र जप के बाद साधग Mais informações गाया हुआ है, वह भोग प्रसाद रूप में ग्रहण करें।
इसके बाद हवन कुण्ड में लकडि़यां जला कर शुद्ध घी उप उपरोक्त मंत्र की 108 आहुतियां दें। यज्ञ समाप्ति के बाद किसी कुंवारी कन्या को घ घर पर बुला कर उसे भोजन करायें और यथोचित वस्त्र दक्षिणा आदि।। इस प्रकार यह साधना सम्पन्न होती है, वास्तव में स साधना अत्यन्त सरल है।
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