यद्यपि लोक मान्यताओं के अनुसार भगवान श्री गणपति की उद्भव की विख्यात कथा तो वही है जिसके अनुसार वे माँ भगवती पार्वती के शरीर के उबटन द्वारा निर्मित हुये और कर्त्तव्य पालन करते हुये सिर कट जाने पर गज का मुख लगने के कारण गजानन कहलाये, किन्तु पुराणों एवं शास्त्रों में भगवान श्री गणपति को आदिदेव के रूप में वर्णित कर उन्हें साक्षात् ब्रह्म स्वरूप कहकर वन्दित किया गया है और जिन्हें प्रत्येक युग में अपने भक्तों की रक्षा और उन पर कृपा वृष्टि के लिये सर्व समर्थ देव के रूप में वर्णित किया गया है। वस्तुतः भगवान श्री गणपति का यही वास्तविक एवं विराट स्वरूप हैं।।।।।।।।
De acordo com os Puranas, em Tretayuga, o Senhor Shri Ganapati aceitou o pedido de deuses, sábios, humanos e residentes de Patal Lok para encarnar através da Mãe Bhagwati Parvati para protegê-los de Asura chamado Sindhu.
भाद्रपद के शुक्ल चतुर्थी को भगवान श्री गणपति सर्वप्रथम अपने दिव्य रूप में अवतरित हुये किन्तु मां भगवती पार्वती के प्रार्थना पर सामान्य रूप धारण कर उस शिशु अवस्था में ही अपनी अलौकिकता का सभी को संकेत दे दिया और यह स्पष्ट हो गया कि अब सिन्धु राक्षस का अन्त निश्चित है। सिन्धु ने भी उन्हें बालावस्था में ही समाप्त करने का प्रयत्न किया किन्तु यह असम असम्भव था। कालान्तर में भगवान श्री गणपति ने युद्ध में दैत्यराज सिन्धु एवं उसके पुत्र धर्म व अधर्म को मारकर उसके कारागार से सभी ऋषियों, मुनियों, देवताओं आदि को मुक्त कराया।
Shukla Chaturthi do mês de Bhadrapada foi reconhecido como a data de manifestação do Senhor Shri Ganesha desde sua aparição nesta forma especial e esta data é celebrada com grande reverência, respeito e entusiasmo não apenas no estado de Maharashtra, mas em toda a Índia. . No estado de Maharashtra, este dia tem o mesmo reconhecimento que o festival Navratri em todo o estado, quando estabelecer Maa Kali em todas as casas é considerado uma virtude da vida. A forma como Lokmanya Tilak conectou este dia com a consciência nacional, o mesmo é o espírito básico do Senhor Shri Ganapati e da mesma forma ele é uma divindade pronta para ser estabelecida em cada lar, sendo um destruidor de obstáculos.
जीवन की समस्त विघ्न-बाधाओं को पूर्णता से समाप्त करने के लिये, उनको स्थायी रूप से अपने जीवन से अलग रखने कि लिये साधको ने युगों-युगों से मंगलमूर्ति भगवान श्री गणपति की आराधना-साधना सम्पन्न कर जीवन को निश्चिंतता दी है। उनकी विघ्न-विनाशक शक्ति के कारण उन्हें अपने घर और पूजन में सर्वोच्च स्थान दिया है।। यही नहीं वरन घर के मुख्य द्वार पर भगवान श्री गणपति की स्थापना करना भी इस बात की ओर संकेत करता है कि जहां उनकी स्थापना है, उनका चिन्तन और उनके प्रति श्रद्धा है, वहां किसी आपदा का प्रवेश ही नहीं हो सकता।
साधक इसी कार्य को और अधिक व्यवस्थित व सुचारू ूप से क वक व व हैं।।।।। क क हैं।। श्रद्धा और भक्ति तो उसके क का अंग होती है साथ ही देवत देवता विशेष की शक्तियों की स्थापना भी उनके चैतन l चैतन्य विग्रह के ूप में क क भी ही। चैतन चैतन Para भगवान के रूप में देवता की कोई भी प्रतिमा स्थापित की जा सकती हैं, उसके प्रति अपनी मनोभावनायें व्यक्त की जा सकती हैं, लेकिन जहां सचमुच लाभ प्राप्त करने की बात है, वहां स्थापित विग्रह को चैतन्य करना आवश्यक होता है और यदि चैतन्यीकरण की क्रिया न Linha किसी भी मंदिर में मूर्ति-स्थापना के पश्चात् इसी कारणवश प्राण-प्रतिष्ठा एक आवश्यक क्रिया होती है।।।।।।।।।
भगवान गणपति अपने सहस्त्र स्वरूपों के साथ, अनन्त शक्तियों के साथ इस जग में उपस्थित हैं ही किन्तु जब एक स्वरूप की ही स्थापना की बात आये तब बिना संदेह उनके विजय गणपति स्वरूप का स्मरण हो ही जाता है। विजय क का अर्थ है जो जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में विजय प्रदाता हों।।।।।।।।।।। O que você quer que você faça? जीवन का कौन-सा क्षेत्र ऐसा है जो निरापद हो औऔ जहां बिना विजय प्राप्त किया साधक सुगमता से जी प प सके सके सके सके सके सके सके सके सके? फिर ऐसे ही वातावरण में आवश्यक हो जाता है कि साधक अपने घर में भगवान गणपति की स्थापना करे, जिसके प्रभाव से प्रत्येक कार्य में सफलता की प्राप्ति हो सके।
इसके लिये शास्त्रों में एक श्रेष्ठ सरल विधान स्पष्ट किया गया है कि, धातु से निर्मित भगवान गणपति के स्वरूप को केवल विजय काल में ही प्राण-प्रतिष्ठा प्रदान की जाये तो वह विजय श्री स्वरूप होता है। ऐसे गणपति विग्रह की घर में स्थापना साधक को सम्पूर्ण गणपति की शक्तियों से फल प्रदान करने में सहायक होता है प प।।।। भगवान श्री गणपति तो अपने भक्तों के लिये विघ्नहर्ता और दुष्टों के लिये विघ्नकर्ता दोनों ही रूप में वन्दनीय हैं अतः उनकी घर में स्थापना निश्चित रूप से फलदायक होती है, किन्तु यह स्थापना अर्थात् विजय गणपति स्वरूप की स्थापना साधक को केवल अपने घर में करनी चाहिये।
गृह स्थान से बाहर अपने व्यवसाय-स्थल, दुकान या फैक्ट्री में इस अति दुर्लभ पारद गणपति विग्रह का स्थापना करना शास्त्र सर्व श्रेष्ठ माना गया है। भगवान श्री गणपति के अनेक स्वरूपों में धातु व पारद निर्मित होने के कारण सभी श्रेष्ठमय है जिसको साधक प्रत्येक पवित्र स्थान पर स्थापित कर कई पीढि़यों के लिये ऋद्धि-सिद्धि, शुभ-लाभ स्वरूप स्थितियों की वृद्धि होगी। केवल भगवान श्री गणपति की स्थापना ही नहीं साथ ही ऋद्धि-सिद्धि, शुभ-लाभ की स्थापना भी इसी विग्रह के द्वारा सम्भव होती है क्योंकि जिस प्रकार जहां शिव का पूजन होता है वहां स्वतः ही सम्पूर्ण शिव परिवार का पूजन हो जाता है, ठीक उसी प्रकार जहां गणपति की स्थापना व पूजन होता है वहां उनकी पत l पत्नियों ऋद्धि एवं सिद्धि तथा पुत्रद्वय शुभ लाभ की स्थापनापना तो तो हो ज शुभ एवं ल लाभ की स्थापनापना तो तो हो ज शुभ शुभ है।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।। पुत पुत तथ grel पुत।।। पुत तथ gas
वाद विवाद, मुकदमा, marcaजकीय बाधा, लड़ाई, शत्रु-बाधा, भय-नाश इत्यादि कार्यों के लिये उच्छिष्ट गणपति साधना सम्पन lênero इस साधना को गणेश जन्मोत्सव व बुध बुधावार से ब्रह्म महुर्त में या marca र्रि काल में सम्पन्न कर र र है।।
Em primeiro lugar, vista roupas limpas, coloque um pano branco ou amarelo em um poste à sua frente e instale o ídolo e a imagem do Senhor Ganapati nele, faça uma pilha de arroz colorido com vermelhão em um prato à frente e instale Ganapati Yantra nele, Depois de completar devidamente a adoração, adore o Guru também, depois disso faça o investimento-
Desta forma, tomando uma resolução, deve-se meditar em Uchchhishta Ganapati de quatro braços, cor de sangue, três olhos, sentado em uma flor de lótus, segurando um laço e dentes na mão direita, em uma postura frenética. Depois disso, na forma do símbolo de Ashta Matrikaya, aplique bindiya ao redor do Yantra e ofereça laddoos na forma de prasad, cante os nomes dos oito Matrikaya-
ब्राह्मी नमः, माहेश्वuto
Ó Senhor de todos os obstáculos, concessor de bênçãos, querido pelos deuses, abdômen longo, para o bem-estar de todo o mundo.
Linha
Depois disso, complete 5 rodadas do seguinte mantra com Uchchishta Ganapati Mala por 3 dias-
मंत्र जप के पश्चात् तीसरे दिन स सामग्री को मंदि मंदिर में लाल कपडे ब बांध कर दें दें ल लाल
मनुष्य अपने जीवन में विभिन्न मनोकामनाओं को पूर्ण करना चाहता है।।। अपने घर में धन-धान्य तथा शक्ति प्राप्त कर दूसरों को आकर्षित एंव वशीभूत करने हेतु व साथ ही लक्ष्मी, धन, सुन्दर पत्नी प्राप्ति, शक्ति एवं कार्य सिद्धि हेतु, यह साधना अत्यंत महत्वपूर्ण है।
इस साधना को सम्पन्न करने हेतु गणेश जन्मोत्सव किसी बुधवार को ब्रह्म महुर्त में स्नान आदि से निवृत होकर सर्वप्रथम स्वच्छ वस्त्र धारण करें अपने सामने एक चौकी पर सफेद या लाल कपड़ा बिछा कर उस पर एक थाली में शक्ति विनायक यंत्र स्थापित करें साथ ही कार्यसिद्धि स्वरूप में सुपारी को चावल की ढे़री पर स्थापित करें। यंत्र व सुपारी का पूजन सम्पन्न करें, हाथ में लेक लेकर विनियोग करें-
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Aplicação à perfeição.
Anganyas
OM GRAM HRIDAYA NAMAH, OM GRIM SHIRASE SWAHA,
Om Gum Shikhayai Vashat, Om Graim Kavachaya Hum,
ॐ Graum Netra Traya Vaushatha, ॐ Grah Astraya Phat.
Kusha com venenos e uma corda em volta do peito com uma flor de lótus nas mãos
स्वपत्न्यायुतं हेमभूषाभराढ़यं गणेश समुद्यद्दिनेशाभमीडे ।।
O que você pode fazer?
3 dias 5 anos -
मंत्र जप के पश्चात् पांचवे दिन स सामग्री को मंदि मंदिntas
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