O que você pode fazer? मैं कहता हूं, तुम इतने दुःखी क्यों हो? जीवन प प्रसन्न marca की जीवटता प्राप्त हुई है तब इतने उदास हो? जो आदमी marca र आदमी आदमी को लेक लेक सोता है औ औ सुबह उत्साह लेकर जागता है वही आध्यात्मिक Linha
हमारे जीवन के संदेह, मोह और भ्रम मिटते हैं। जन्म और मृत्यु हमारे हाथ में नहीं लेकिन जीवन हमारे हाथ में हैं।। तो इस जीवन को नकारात्मक सोच ब बर्बाद करने की बजाय सकारात्मक सोच से हम समृद्ध करें। आज के समय में हम धैर्य marca तब ही सकारात्मक स्व desse
Linha Sim! जीवन की ओर नई आशा से, नई ऊर्जा से देखा है। हर विपत्ति का हमने धैर्य, विवेक और कर्मठता से सामना किया है।।।।।। क क क।।। यह दौर भी वैसा ही है, हताश और निराश होने की आवश्यकता नहीं क्योंकि हममें जीने की जिजीविष जिजीविषा है। यह समय हमें नए अनुभव दे रहा है। Linha अपने प्रति, अपने परिवार के प् marca
एक तरह का मानव निर्मित स्वभाव या आदत, जो व्यक्तित्व का अंग बन जाए, उसे व्यसन कह हैं क।। हर व्यसन का मूलतः स्वरूप व्यक्ति को पाश में जकड़ लेना है।।।।।।। Mais informações O que você pode fazer? नहीं मिले तो व्यक्ति अनर्गल गाली-गलौज, मार-पीट, अपशब्द भाषा का प्रयोग प्रा conseguir कुछ व्यसन व्यक्ति की परिस्थितियों के कारण होने वाले मानसिक प्रभ deveria Mais informações कुछ लोग अधिक खाने के शौकीन होते . धूम्रपान करना अथवा तम्बाकू का सेवन करना, मदिरा पीना, नशे में ही marca, हर समय इसी तरह के भाव-मस मस्तिषतिष ह में हते त त त के भाव-मस l मस्तिष में चलते हते हते त हैं हैं भ भाव-चिंतन मस्तिष्क में चलते हते त त। भ भाव-चिंतन lênero व्यसन न तो कभी नकारात्मक होता है, न ही सकारात्मकमक् Mais informações व्यक्ति अपने मन को खुश करने के लिये अनेक तरह के अर्नगल व्यसन करता है और यही भाव विचार रखता है कि सम्भवतः उक्त व्यसन से मुझे असीम आनन्द की प्राप्ति होगी जबकि वह व्यसन से जीवन को नारकीय बना लेता है। Linha इसीलिए व्यसनों का सभी धर्मों में निषेध है अर्थात् अति सर्वत्र वर्जयेत की युक्ति चरितार्थ हो जाती है तात्पर्य यही है कि अपने शरीर, देह को अनेक-अनेक व्यसनों से जुड़ाव उत्पन्न कर देने से विकारों की वृद्धि होती है।
सभी व्यसन या तो अज्ञानतावश शुरू होते हैं, अथवा मन की किसी अभावग्रस्त स्थिति में। O que você pode fazer? वह कुछ तो घर में देखता है, कुछ संगत का प्रभाव हो हा O que você pode fazer? थोड़े से स्व नियंत्रण से व्यसन से मुक्त कराया जा सकता है।। बड़ी उम्र के व्यसनों में मन अभ अभावग्रस्त दशा अधिक झलकती है।। व्यक्ति की मानसिक निर्बलता का प्रमाण भी हो सकती है, तो अपराध बोध भी देखा जा सकता है, जिस बालक को बचपन में माँ का प्यार नहीं मिले, उसका दूध पीने को नहीं मिले, उसके व्यसन अभावग्रस्त जैसे होंगे। जिसे अन्य भाई-बहनों के अनुपात में प प्यार मिले, उपेक्षा का बोध हो, अथवा भेद-भाव की क्रिय deveria छात्रवासों में व वर्ग के लड़के-लड़कियों के व्यसन सोच-समझकर पाले हुए होते हैं।।।।।। Mais informações Mais informações उनके भविष्य निर्माण की उम्र कुव्यसनो में व व्यतीत हो जाती है।।।।।।। परिणाम में भी केवल पशुभाव ही मिलता है। आज विश्व का यह बड़ बड़ा व्यसन मनोरोगी की स्थिति का बन गया। O que você pode fazer? Mais यह भोगवादी संस्कृति का चरम बिन्दु बन . आज-कल तो इंटरनेट और मोबाइल फोन से लोगों से चैट करना, फिल्में देखना भी युवाओं में एक व्यसन बन गया है, अतः जिस उम्र में ज्ञान, शिक्षा के माध्यम से अपने जीवन को उज्ज्वलमय स्वरूप प्रदान कर सकें, उस समय का उपयोग यदि उक्त अनर्गल कार्यों और क्रियाओं में करते हैं तो वह बालक या छात्र जीवन के लक्ष्यों से भटक जाता है और उसका जीवन नारकीय बन जाता है इसका बड़ा कारण है शिक्षा में मन और मन की वृत्तियों के ज्ञान का अभाव। Mais informações व्यक्ति स्वयं के जीवन का आकलन कर ही नहीं पाता अर्थात् जीवन को सर्वश्रेष्ठमय बनाना है अथवा अधोगतिमय पूर्णतया उस युवा के भाव-चिंतन द्वारा की गई क्रियाओं के फलस्वरूप ही स्थितियां प्राप्त होती हैं। यदि बीस वर्ष का बालक कहता है कि मैं गरीब हूं तो इसका तात्पर्य परिवार की आर्थिक स्थिति बहुत न्यून है और यदि वही बालक 30 वर्ष की उम्र में कहता है कि मैं गरीब ही हूं तो वह निर्धन रूप में न्यूनता उस बालक की स्वयं की है क्योंकि जीवन का अधिकांश समय व्यतीत करने के बाद भी आपको आपको सांसारिक जीवन में व्यवस्थित नहीं कर पाया। तात्पर्य यही है कि उसमें संघर्ष की भावना, इच्छा नहीं औ औ औ वह कर्म करने से भाग marca हा।।
Mais informações अपराध से होने वाली ग्लानि की चर्चा भी किसी से नह Mais informações मानव स्वभाव से पशु होता है। Mais informações Mais informações Mais informações क्रोध, हिंसा, लोभ आदि सभी वृत्तियां तो प्राकृत ह॥ इन वृत्तियों को स्वीकार करना अथवा दबा देना ही व्यसन का जनक होता है। इन वृत्तियों को दबाना भी हिंसा का ही रूप है। व्यक्ति पहले स्वयं के प् marca जिस वृत्ति को भी व्यक्ति दबाने का प्रयास करता है, वही उसके अचेतन मन में पहुंच जाती है।। O que você pode fazer?
किसी भी भ भाव की निरन्तरता बने हने हने से वृत्ति व्यसन marca में प्रकट होती है।। दबी हुई वृत्ति ही भय का कारण बनती है। भय के कारण व्यक्ति अपनी वृत वृत्ति को स्वीकार नहीं करता है।।। Linha वृत्ति के दबाने से व्यक्तित्व का असली स्वरूप भी ढका ह जाता है स स स स स स स स स।।।।।।। Mais informações साथ ही उस न्यूनता से निकलने का भाव-चिंतन भी होना चाहिये तब ही जो कमजो कमजोरी है सम समाप्त हो सकेगी। अतः कहा जाता है कि– O que você pode fazer?
हर व्यसन के साथ एक भय भी होता है। Mais uma vez mais Mais informações Mais informações मूल बात यह है कि व्यसन व्यक्तित्व की खण खण्डित अवस्था है।।।। Mais informações Mais informações यह तो व्यसन की गहनता पर ही निर्भर करेगा। इस कीमत से ही व्यसन मुक्त होने का महत्त्व समझा जा सकता है।। एक भय को दबाने के लिए व्यसन शुरू होता है। मुक्त होने के लिये भय का साहस के साथ मुकाबला करना होता है।।। प्रकृति के तीन कड़वे नियम, जो सत्य है। प्रकृति का पहला नियमः यदि खेत में बीज न डालें जाएं, तो कुदरत उसे घास-फूस से भभ देती हैं। कुद।।।। ठीक उसी तरह से दिमाग में सकारात्मक विचार न भरे जाएँ, तो नकारात्मक विचार अपनी जगह बना ही नक नक।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।
प्रकृति का दूसरा नियमः जिसके पास जो होता है, वह वहीं बांटता है।।।
1-Happy distribui felicidade. 2-O triste compartilha a tristeza. 3- O sábio distribui conhecimento. 4- Confuso distribui confusão. 5- Os medrosos compartilham o medo. Terceira Lei da Natureza: O que quer que você consiga na vida, aprenda a digeri-lo porque-
1-भोजन न पचने पर, रोग बढते है। 2-Pra você, por favor. 3-बात न पचने पर, चुगली बढती है। 4-प्रशंसा न पचने पर, अंहकार बढता है। 5-निंदा न पचने पर, दुश्मनी बढती है। 6-राज न पचने पर, खतरा बढता है। 7-दुःख न पचने पर, निराशा बढ़ती है। 8-सुख न पचने पर, पाप बढ़ता है।।
आदमी खुद तो अंधेरे में जीता है, इस बात को भुलाने के अक अक्सर दूसरों से प्रकाश कीात करने लगता है। प प प प gas O que você pode fazer? आपको पता ही नहीं होता वह बात भी दूस दूसरे को बताने लगते है।। Mais informações जो इतना नियम मानता हो, इतना संयम और मर्यादा खता हो कि जो जानता है वही बताएगा, जो नहीं जानता है नहीं बताएगा।। जो जो ज जानता है नहीं बताएगा। गुरू अपने को गुरू समझता हो तो कुछ भी होग होगा, क्योंकि वह को तैय तैयार है, लेकिन साथ होने तैय तैयार नहीं है औ और साथ हुए बिना दिया नहींजार नहीं है है औ औutos
इसलिए साधक जब ज जाता हैं, गुरू तो जिस जगह वह अपने गुरू के पास marca है है।।। उसको कहते है, गुरूकुल-द फॅमिली ऑफ द मास्टर। वह गु गुरू का परिवार है, उसमें जाकर वह सम्मिलित हो जाता है।।।। पर यह निकटता दोहरी है, सभी निकटताएं दोहरी होती ह इसलिए गुरू कहता है, हम दोनों एक साथ पुरूषा conseguir गुरू भी एक बड़ी साधना है। Mais informações इस प पntas एक राजा को राज भोगते हुये अनेक श बाल भी सफेद होने लगे थे तथा शरीर भी धीरे-धीरे कृषकाय सा हो रहा था, एक दिन उसने अपने दरबार में उत्सव रखा और अपने राजगुरु व मित्र देश के राजाओं को आमंत्रित किया।
Para tornar o festival interessante, foi chamada a famosa dançarina do estado, o rei também deu algumas moedas de ouro ao seu Rajguru para que ele pudesse recompensar a dançarina por sua boa música e dança. A dança continuou a noite toda, chegou a hora de Brahma Muhurt, a dançarina viu que meu tabla wala está cochilando e é preciso avisar o tabla wala, senão qual é a confiança do rei para acordá-lo se ele punir alguma coisa. Linha अब इस दोहे वह वहां देख हे व्यक्तियों ने अलग-अपने अनु अनुntas जब दोह दोहा marcaजगु ने सुना तो गुगु गु ने सारी मोहमोह सुन सुन तो गु गु गु गु गु सgre दोहा सुनते ही marca रा की लड़की ने भी अपना नौलखा हार नर्तकी को क कntas दोहा सुनते ही marca केा के पुत् marca
Marca सिंहा सिंहासन से उठा और नर्तकी को बोला एक दोहे द्वारा एक सामान्य नर्तिका होकर तुमने सबको स सामा। जब ब बात marca के के marcaजगुजगु ने सुनी तो गु र र के के नेत्रों में आंसू ने, औ औntas Marca इसको इसको नीच न नर्तकी मत कहो, यह अब मेमे गु गुntas दोहे से यह desse महाराज! मैं तो चला। यह कहकर गुरुजी तो अपना कमण्डल उठाकर जंगल की ओर च राजा की लड़की ने कहा- पिताजी! मैं जवान हो गयी हूं, आप आंखे बंद किये बैठै हैं, मेरी शादी नहीं कर रहे थे और आज रात मैं आपके महावत के साथ भागकर अपना जीवन बर्बाद करने के लिये निकलना चाहती थी, लेकिन इस नर्तकी के दोहे ने मुझे सुमति दी है कि जल्दबाजी मत कर कभी तो तेरी शादी होगी ही, क्यों अपने पिता को कलंकित करने पर तुली है।।।।।।।
Linha लेकिन इस नर्तकी के दोहे ने समझाया कि पगले! आज नहीं तो कल आखिर राज तो तुम्हें ही मिलना है। क्यों अपने पिता के क का कलंक अपने सिसि पर लेता है धैर्य ख। सि जब ये सब बातें राजा ने सुनी तो राजा को भी आत्मज्ञान हो गया, राजा के मन में वैराग्य आ गया। Di र ने ने ने तु तु तु तु तु तुntas दरबार में एक बढ़क बढ़कntas रजकुमposto यह सब देख कर नर्तकी ने सोचा मेरे एक दोहे से श श्रेष्ठ व्यक्तियों में सुधार आ गया लेकिन मैं क्यों नही सुधायी? उसी समय नर्तकी में वै वैराग्य आ गया, उसने समय नि निर्णय लिया कि आज से मैं अपना बुरा नृत्य बंद कntas मेरे पापो से क क्षमा करना बस आज से मैं सिर्फ तेरा नाम सुमिरन करुंगी ''
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Não seja estigmatizado por causa de um momento.
अअ अ अ अ अ अ अ अ औ औ औ औ औ श्रेष्ठ कार्य करें, उसमें निरन्तरता बना कर, थोड़ी भूल भूल भी भी जीवन पू पूntasण कन न थोड़ी।। भी भी भी जीवन पू पू पूntas. तात्पर्य यही कि छोटी सी गलती से भी जीवन कलंकित हो जाता है।। Mais informações कलंक marca जीवन के लिए निरन्तर सुकर्म करने से ही जीवन में सर्वेाच्चता की प्राप्ति संभव पाती है।। भारतीय उपनिषदों और पुराणों में कुस्थितियों और बुराईयों से निवृत्ति हेतु व्रत की महिमा बताई गई है, व्रत का तात्पर्य ही व्यक्ति को भाग-दौड़ स्वरूप जीवन में कुछ रूक कर सोचने का अवसर प्रदान करता है। इसी से जीवन में नूतन दृष्टिकोण और भीतर में प्रेरणा और उत्साह का स्फुरण होता है। मानसिक चिन्तन का व्रत व्यक्ति के जीवन की न्यूनता को तेजी से समाप्त करता है। अतः व्रत का तात्पर्य भूखा-प्यासा नहीं हना वरन व्रत एक संकल्प का भाव-है है जिस तरह से साधारण स्वरूप में व्रत के समय अन्न का परित्याग करते हैं, ठीक उसी तरह जीवन के विकारों और व्यसनों को समाप्त करने के लिये व्रत रूपी संकल्प लें साथ ही दृढ़ता से अपने आत्मशक्ति को मजबूत करते हुये अटल रहें कि मेरे विकार और व्यसन पुनः Mais informações सही अर्थो में यही व्रत का भाव चिन्तन होता हैं। वही मन के विकार रूप में अनर्गल व्यसनों और कुविकारों स्वरूप में आलस्य, प्रमाद, कर्महीनता, अनर्गल खान-पान, स्वयं के प्रति लापरवाहमय स्थितियां क्रोध व दूसरों पर आधिपत्य बना कर रखना ये सभी कुस्थितियां जीवन में निरन्तर बिखराव उत्पन्न करती है और जीवन का कोई श्रेष्ठ हेतु, उद्देश्य निर्मित नहीं होता और ना ही गृहस्थ जीवन में उच्चता आ पाती है। गृहस गृहस गृहस गृहस गृहस जीवन उच उच्चता आ पाती है। अतः सही स्वरूप में व्रत का भाव-चिंतन अपने आपमें सुपरिव Quanto
बुद्ध से किसी आक आकआक पूछा एक दिन, कि ये दस हजार भिक्षु हैं, आपके पास वर्षों से आप इन्हें समझाते हैं, सिखाते हैं, चलाते हैं।। O que você quer, como você pode fazer isso? O que você quer? Linha O que você pode fazer? तो उस आदमी पूछ पूछा कि एक भी दिखाई नहीं पड़ता तो बुद्ध ने कहा क्योंकि वे गुरू नहीं हैं। जाग जाना एक बात है, लेकिन दूसरे को जगाना बिलकुल दूसरी बात है, जरूरी नहीं है कि जागा हुआ दूसरों को जगा ही पाये क्योंकि जागे हुए को भी अगर दूसरे को जगाना हो तो वहीं आकर उतरकर खड़ा हो जाना होता है जहां दूसरा खड़ा है, उन्हीं अंधेरी घाटियों में, उन्हीं लोगों के निकट जो भटक हे हे है।।।।।।। Mais informações कई बार तो उसे य यात्रा पर भी थोड़ी दू दू तक स साथ जाना पड़ता है, जहां नर्क के और कुछ भी नहीं नहीं अगर मैं आपका हाथ पकड़कर थोड़ी दूर आपके साथ चलूं, तो ही इतना भरोसा पैदा होता है, कि कल अगर मैं अपने रास्ते पर आपको लेकर चलने लगूं, तो आप मेरे साथ चल पायें। शिष्य के साथ गुरू को चलना पड़ता हैं, ताकि गुरू के साथ शिष्य चल पायें। और बहुत बार शिष्य को ऐसे marca
इसलिए गुरू कहता है, हम दोनों साथ ही पराक्रम करें, पुरूषार्थ करें। हम दोनों साथ ही साधना करें। Inte वहां से शुशु क कntas जो मंजिल पर खड़ा है, और मंजिल प्राप्त करने के लिये यात्रा के पहले कदम को उठाने का शिष्य के साथ साहस जुटा सकता है, वहीं केवल सद्गुरू होते हैं। इसलिए गुरू कहते है, हम दोनों साथ ही पुरूषार्थ करू हम दोनों की विद्या तेजस्वी हो।
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यानी यत्न करने के बावजूद कार्य सिद्ध न हो तो उसमें मानव का क्या दोष? कई बार मनुष्य कार्य सिद्ध नहीं होने के फलस्वरूप यही विचार करता है कि मृत्यु को प्राप्त हो जायें, जबकि कार्यसिद्धि में अवरोध के फलस्वरूप मृत्यु को प्राप्त होना समाधान नहीं हैं। सही अर्थों में अव अवरोधों का सामना तीन चीजों से किया जा सकता है- धैर्य, दूरदर्शिता और हिम्मत। Mais informações कुछ लोग जीवन में एक आदर्श के ूप कोई ध्यानमार्गी है, कोई भक्तिमार्गी, कोई कर्मयोगी लेकिन इसके साथ-साथ जीवन में समग्रता, संतुलन और पुरुषार्थ की पराकाष्ठा से समस्या को धराशायी किया जा सकता है और चुनौतियों को अपनी मजबूती में बदल देना चाहिये। Inte ऐसे मनुष्यों के जीवन का कोई हेतु, mais इसीलिये उनका जीवन अंशातमय, दरिद्रता और न्यूनता स्वरूप में ही समाप्त हो जाता है और साथ ही आने वाली पीढि़यों को भी ऐसी ही उक्त विषम स्थितियां प्रदान करते हुये मृत्यु को प्राप्त हो जाते हैं। Linha इसके लिए marca कम से कम-एक घंटे सुबह-शाम योगासन, प्राणायाम और ध्यान करें। आयुर्वेद के ऊपर भी ज्यादा भरोसा बढ़ाने की जरू ह। यह समय अपनी सेहत सुधारने का जब शरीरसे से पूर्ण स्वस्थ marca तब ही आत्मशक्ति वृद्धि की क्रिय deveria हो।। आत। आत आत आत आत आत आत आत आत आत आत आत आत आत आत आत आत आत आत आत आत आत आत आत।। आत आत आत।।।।।।।।।।।।।।। की आत वृद gre शरीर, मन, विचार, भावनाओं के दिव्य आत्म-परिव desse Mais informações इस वक्त का, उपयोग हम अपने व्यक्तित्व विकास में क इस दौरान हमें दिव्य परिव Quanto Linha
जब हम कहते हैं कि प्रार्थना करों तो हम उच्च ऊर्जा वाले विचार बनाते हैं। O que você pode fazer? प्रार्थना के समय यही भावना हो कि मुझे मेरी प्रार्थना को प्रैक्टिकल में लाना है अर्थात् प्रार्थना में जो भी भाव-चिंतन है, उसे जीवन में पूर्णरूपेण उतारने की क्रिया करनी है तब ही हमारे द्वारा प्रार्थना करना सार्थक होगा और उस सार्थकता से ही उच्च ऊर्जा वाले विचारों से युक्त व्यक्तित्व का निर्माण कर सकेंगे क्योंकि संकल्प से सृष्टि बनती हैं संकल्प की शक्ति से ही जीवन धारणायें, इच्छायें पूर्णरूपेण सकारात्मक रूप में क्रियान्वित हो सकेंगी। Linha Mais informações इसलिए हर परिस्थिति में सकारात्मक marca इस कठिन समय में उपजी कुण्ठा, आशंका और निराश pos.
Mais informações Mais इसलिए पहले आपको चिंता का त्याग करना है क्योंकि इसमें ऊ ऊर्जा और समय नष्ट होता है। इसलिए चिंता छोड़ो साहस को जोड़ों जब य यात्रा करते हैं और गाड़ी खराब हो जाती है क क्या करते हैं? यात्रा gre Mais informações साहस से ही गाड़ी आगे की ओर बढ़ चलेगी। लेकिन इसके लिए व्यक्तिगत, परिवार और सामाजिक स्तर पर हमें अपनी जिम्मेदारी निभानी होगी।। प अग र र र अग अग अग मूल मूल मूल तो तो मूल मूल मूल मूल मूल मूल कि हम घ घ में में हक हकहक मूल जीवन फि फि फि से नए से से जीना सीख हे हैं हैं औntas इसका आपको अंदाजा भी नहीं . आप देखिए कि आप अपने प पास आ गए, अपने प पपाzar
सबसे अच्छा जीवन जिय जिया जा सकता है, जब हम हरदम इसे ज्यादा से ज्यादा सरल बनाने की कोशिश में हें जायादा सरल बनाने की कोशिश में हें हें हें ज ज ज ज ज बन बन बन बन की की बन बन बन जाने की की ज जाद ज जnel जीवन में वह समय भी आता है, जब जवाबों को खोजने की जरूरत पड़ती है और कभी ऐसा वक्त भी आता है जब सवालों को उसी स्थिति में छोड़ देना ही बेहतर हो जाता है। अगर हर जवाब अगले सवाल भी ज जाएं तो फिफि यह उलझनों, मानसिक अशांति और जीवन में मौजूद यह शोntas और अगर जिंदगी इन्हीं उलझनों औऔ त्रास में फंसी हीं, तो जीवन के असली आनंद को महसूस कीजिए औ औntas हमारे ज्ञान, असीमित बुद्धिमत्ता से भी हम जीवन के बारे में ख खास नहीं समझ सकते। आप जीवन के सार को खोजने के लिए भले ही हर संभव प्रयास करते हैं, वह सब कुछ करने की कोशिश करते हैं, जो वाकई में किया जा सकता है, जो आपके दायरे में है, लेकिन आप देखेंगे कि वह भी अपर्याप्त जान पड़ेगा। Linha जीवन-मृत्यु, लेना-देना, आत्मकेंद्रित या जुडे़ हना, साम्य या बिखराव सारा जीवन ही विरोधाभासों से भरा स हुआ है।।। सवाल है कि इन सब विरोधाभril इन सब उलझनों और विरोधाभासों के बीच झूलते हुए, जिंदगी में सबकुछ हासिल करने के बाद भी महसूस होता है कि जैसे हमें जीवन का मूल ही समझ नहीं आया, लगता है कि आज भी वहीं खड़े हैं, जहां से शुरूआत हुई थी।
आप इस खोज में जीवन की दौड़ में भागे जा रहे हैं। क्योंकि आपको लगता है कि इस जीवन के पड़ पड़ाव से भी आगे कोई शु शुशु है पड़ पड़ पड़ पड़ पड़ पड़ पड़ पड़ पड़ पड़ पड़ पड़।।।।। जहां से शुरू किया था, वहीं फिफि से वापस आने के लिए आप भागे जा हे व हैं। जैसे कि महान दार्शनिक उमर खय्याम ने कहा था- मैं द ददाजे से बाहर आया हूं जिससे मैं भीतरवाजे से बाहर आया हूं जिससे मैं भीतर गया था। इस दुनिया की आपसे अपेक्षायें, खुद की खुद से उम्मीदें असीम हैं, अनंत हैं, इनका कोई ओर-छोर नहीं है।। ये उम्मीदें फिर उसी मानसिक अव O que você está fazendo? O que você quer que você faça? फिलहाल एक काम कीजिए-एक गहरा श्वास लीजिए और धीरे से श शांति! Sim! Mais informações हां, यह बात बिल्कुल ठीक है सुनह सुनहरे भविष्य की कल्पना करना बुरा नहीं है।। कल O que você pode fazer? हमें इस क्षण को भी महसूस करना शुरू करना होगा। अभी मुस्कराइयें, क्योंकि खुशी-पxão खुशी चेहरे पर आने से, मुस्कराहटों को प पप आने से मत ोकियें ोकियें।।।। मत मत ोकियें ोकियें।।। जो कुछ होगा इसी क्षण में घटित होगा, होने दीजियें अब फिर से एक गहरी सांस लिजियें। चेहरे पर कोई तनाव मत लाइये, marca
आइयें जीवन के हर क्षण को महत्वपूर्ण बनायें। इस क्षण के लिए सजग, जीवंत और सचेत हो जायें। भले ही आपने जिंदगी अच अच्छी गुजा marca हम अपने साथ जो करते हैं, वही हमारे साथ जाता है औऔ जो दूसदूस दूस स स क कntas हर क्षण के बाद अगला क्षण आयेगा इसलिये ह क्षण को बन बनाये, हर क्षण जीवन की पूर्णता के साथ जियें कऔ इस जीवन जीवंत पू पूायेंा के साथ जियें औऔ इस जीवन को जीवंत बनायें के स साथ जियें औ क इस जीवन जीवंत बनायें के। स जियें औ औ क जीवन जीवंत जीवंत बनायें।। स स औ औ औ औ जीवन जीवंत जीवंत बन बन बन बन के स स स स पू पू पू पू पू पू पू पू पू पू पू पू पू पू पू पू पू पू पू पू पू पू पू पू पू पू पू पू पू पू पू पू पू पू पू पू पूgre
जीवन अच्छे भविष्य की कामना के साथ जिया जाना चाहियें, लेकिन इस सब में मौजूदा वक्त, इस क्षण को जीना भूलना नहीं चाहियें। वहां जैसी कोई जगह नहीं है, जहां पहुंचने ब बात की जाती है।। कोई अंत नहीं है, कोई शुरूआत नहीं है। जीवन एक सतत प्रवाह हैं। इसके हर पल को जिये, इसके हर पल का पूरा उपयोग करें॥ फिलहाल एक काम करें-एक गहरी श्वास लें और धीरे से कहें, शांति! Sim! Mais informações अभी मुस्कुराइयें, क्योंकि खुशी-प्रसन्नता इसी क्षण में है, जो भी सुखद स सामने घट हीं हीं, उसे महसूस कक क प gre सामने भविष्य कल घटित होगा। यह क्षण सामने है और अभी है।
Sua Santidade o Sadhgurudev
Sr. Kailash Shrimali
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