Linha Linha इन्हें प्रधान देव माना जाता है, भगवान सुब्रमण्यम व मुरूगन देव भी कहा जाता है।। मुरूग का तात्पर्य है, सौन्दर्य, ताजगी, सौरभ, माधुर्य, दिव्यता तथा आनन्द और सुब्रमण्यम का तात्पर्य है ज्ञान, लक्ष्मी, शत्रुहन्ता, मृत्युंजय, निरोगता युक्त हो
अतः प परिवार के सभी गणों से हम अपने जीवन को जीवन्त जाग्रत कर सकते है। उक्त स्थितियों की प्राप्ति के आवश आवश्यक है मह महाशिवरात्रि पर्व पर कुम्भ अमृत शिव-गौ desse कार्तिकेय ऐश्वर्य, वीर्य, यश, श्री, ज्ञान और पूर्णता के प्रतीक है साथ ही जहां कार्तिकेय की पूजा होती है, वहां ज्ञान, वर प्राप्ति, गृह रक्षा, बल वृद्धि से दुष्टों का नाश होता है। Linha Mais informações गणपति विघ्नहर्ता देव हैं, गणपति से ही गृहस्थ जीवन धन धन-धान्य, पुत्र-पौत्र का वर प्राप्त होता है।।। साथ ही शत्रु बाधा से marca
महाशिवरात्रि पर्व ही ऐसा महोत्सव है जो भगवान शिव को भक्त अपने जीवन के विष सन्ताप, दुःख, कष्ट, अर्पित कर जीवन को आनन्द अमृतमय स्थितियों से युक्त कर सकता है क्योंकि भगवान शिव को पूजन स्वरूप में धतूरा, भांग, बेर, आक, बिल्व पत्र अर्पित करते है। जबकि इस तत से विधि विधान से क कntas सभी शिव परिवार के गणो पूज पूजा आराधना करने का महाशिवरात्रि सर्वश्रेष्ठ दिव्य पर्व है।।।।।। अतः सपरिवार साधना पूजा महामृत्युन्जय marca
जीवन के प्रत्येक क्षण को पूर्ण रसमय, आनन्द युक्त, शौर्य, सम्मान, प्रतिष्ठा, ऐश्वर्य युक्त बनाने की क्रिया शिव परिवार की अभ्यर्थना पूजा से ही सम्भव होती है। जब जीवन शव शिवमय की ओ ओ अग्रसर होता है तो शिष्य साधक अनुभव करने लगता हैं कि उनका जीवन पूर्णता की तत लगत लगत बढ़ते आनन आनन उनक पू पू पू gre से की त त त पू पू पू पू पू पू पू पू पू पू पू पू पू पू पू पू पू पू पू पू पू लगत लगत लगतgre जीवन पू पू पू पू पू लगतgre महाशिवरात्रि महापर्व पर कुम्भ अमृत शिव-गौरी शक्ति दीक्षा को आत्मसात कर जीवन को शिव-गौरी कार्तिकेय विजयश्रीमय चेतना से युक्त करें, जिससे जीवन में निरन्तर सर्वस्वरूप में पूर्णता प्राप्त होती रहे।
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