यह संस्कार गर्भ में पल marca शिशु के मानसिक विकास, शारीरिक विकास के साथ-साथ शुद्धिक desse इस पुंसवन संस संस्कार के द्वारा गर्भ में पल हे Linha ऐसा भी माना जाता है कि शिशु गर्भ में ही सीखना प्रारम्भ कर देता है, इसका उदाहरण है अभिमन्यु जिसने माता सुभद्रा के गर्भ में ही चक्रव्युह की शिक्षा प्राप्त कर ली थी। पुंसवन संस्कार का उदेश्य स्वस्थ, सुंदर और गुणवान संतान की प्राप्ति है।।।।।। साथ ही भगवान द्वारा कृपा प्राप्त करने कि लिये पूजा-पाठ यज्ञादि से उनके प्रति कृतज्ञता प्रकट की जाती है और कामना की जाती है कि गर्भकाल अच्छे से व्यतीत हो और एक हष्ट-पुष्ट संतान की उत्पत्ति हो व समय पूर्ण होने पर वह परिपक्व रूप में उत्पन्न हो।
सबसे महत्वपूर्ण है ग गर्भ सुनिश्चित होने के तीन महीने पुंसवन संस संस्कार को कर दिया जाये। इस दौरान शिशु म माता को अच्छी पुस्तके पढ़नी चाहिये, साथ ही अच्छे व स्वच्छ वातावरण में हे, अच्छे विचार व चिन्तन खें।। हे, अच्छे विचार व चिन्तन खें खें। हे हे अच अचअच gre O que você pode fazer? शिशु संस संस्कारवान बनाने के म माता के साथ-साथ घर के सभी जनों का भी विशेष योगदान होता है। जो लोग माता के साथ marca हैं उन्हें गर्भवती महिला का पूरा ध्यान marca चाहिये, जिससे शिशु पर अच्छा प्रभाव पडे। गर्भ के माध्यम से अवतरित होने वाले जीव अच अच्छे संस्कार मिल पाये यही इस संस्कार का मतलब है मिल यह संस्कार शुभ नक्षत्र में अच्छे दिवस पर संपन्न किया जाना चाहिये।
पुंसवन संस्कार सम्पन्न करने की विधि इस संस्कार को सम्पन्न करने के लिये एक विशेष औषधी तैयार की जाती है, जिसमें वट वृक्ष की जटाओं के मुलायम सिरों का एक छोटा टुकड़ा, गिलोय, पीपल के मुलायम पत्ते जिसे कोंपल कहते है, सम्मिलित हैं। औषधी तैयार करने के लिये तीन वस वस्तुओं का थोड़ा-थोड़ा अंश पानी के साथ सिल पर पीसकर एक तैय तैयार करके खा जाता है। वट वृक्ष विशालता, दृढ़ता का प्रतीक है। यह धीरे-धीरे बढ़ता है जो धैर्य का सूचक है। इसकी जटायें भी औ औntas गिलोय में ऊपर चढने की प्रवृत्ति विद्यमान है। यह हानिकारक कीटाणुओं की नाशक . यह शरीर में व्याप्त रोगाणुओं को समाप्त कर अन्तः करण के कुविचारों-दुर्भावों, परिवार और समाज में व्याप्त दुष्टता-मूढता आदि के निवारण की प्रेरणा देती है। शरीर को पुष्ट कर, प्राण ऊर्जा की अभिवृद्धि कर सत्प्रवृत्तियों के क का सामर्थ्य प्रदान करती है।
वहीं पीपल देव योनि के वृक्ष के रूप में पूजा जईतॾ Mais informações इस प्रकार इन तीन तत्वों से तैयार औषधी को एक कटोरी में रखकर गर्ववती को सूंघने या पान करने के लिये दिया जाता है जिससे इनके गुणों व संस्कारों का उनमें वरण हो।
इस क्रिया को संपन्न करने कि लिये औषधि की कटोरी गर्भिणी को हाथ में दी जाती है, वह दोनों हाथों में उसे पकड़ कर धीरे-धीरे श्वास के साथ उसकी गंध धारण करती है, भावना की जाती है कि औषधियों के श्रेष्ठ गुण व संस्कार श्वास के Mais informações Mais informações
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इसके पश्चात् गर्भ-पूजन के सभी प परिवार जन हाथ में पुष्प, अक्षत ले, गर्भवती के पति द्वारा यह मंत् marca
ममास्य भार्याया मुत्पतसadura
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Mais informações करष्यिे।
मंत्र समाप्ति पर एक पात्र में पुष्प व अक्षत एकत्रित करके गर्भिणी को हैं हैं, फिर वह उसे पेट से स्पर्श करके ख देती है। पेट से से स्पर्श करके ख फि देती है। परिवार के सभी सदस्य एवं पति सूत्र दुहराते है-
O que você pode fazer?
(गर्भिणी को स्वस्थ और प्रसन्न खने
ऊँ मनोमालिन्यं नो जXNUMX
(Não permitirá que a discórdia e a desarmonia surjam na família.)
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(em inglês)
इसके पश्चात् परिवार के सभी सदस्य निम्न मंत्र के साथ गर्भिणी के सिर पर हाथ marca है-
O que você pode fazer?
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गायत्री मंत्र की आहुतियाः पुंसवन संस्कार में हवन किया जाता है, ईष्टदेव पूजन किय किया जाता है।।।।।।। Mais informações हवन-पूजन संपन्न होने पश gre ब्राह्मण भोज का आयोजन भी किया जाता है।
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