Linha Linha
अनेक अक्षरों का समुदाय एक स सांस में उच्चedade यह किसी औ और सम्भ्यता विशेष का ही प्रतीक न होकर वैश्विक मानवीय ध्वनि बन चुका है। Linha यह ध्यान देने योग्य है कि जब कोई व्यक्ति मर्मान्तक पीड़ा, क्रोध अथवा भय के क्षण में आह रूपी चीख ही करता है, जब भावनाओं का चरमोत्कर्ष होता है तब भी सहज प्रतिक्रिया शब्द रूप में न होकर आ…. ह रूपी ध्वनि के रूप में ही होती है।
आस्थावादी एवं परम्परावादी होने कारण हम हमारी परम्पराओं एवं मान्यताओं का मूल एवं विश विश्लेषण जानने के l इच्छुक नहीं हमारे पूर्वजों की मूल्यवान धरोहर एक पीढ़ी द्वारा दूसरी पीढ़ी को प्राप्त हो जाती है उन्हें रिवाज के अनुरूप तर्क रहित, शंकामुक्त और आस्थाप्रधान भावना से अंगीकार करना ही एक मात्र कर्त्तव्य समझा जाता है। परन्तु क्या जिज्ञासा विहीन अनुसरण अथवा अन्धानुकरण हमें जानकारी हित हित फल के ूप में उत उत्कृष्ट अ अ ded. संस्कृति के विभिन्न भागों का अर्थ जन मानस में सुस्पष्ट हो तो वह प्रशंसनीय तथा सदैव स्वीकार्य होता है।।।।।।।।। इस अवधारणा को क करने के म मानव समुदाय के क्रिय deveria जब तक सारी शंकाओं का समाधान प्राप्त नहीं ज जाता तब तक स्वर्णिम अतीत की परिस्थितियों के अध्ययन का खुला द्वारिस है।।। के अध Para
Linha इनमें से अनेक न्यायोचित समन्वय, सामाजिक पर्यावरण, शब्द उत्पत्ति, सौन्द desse Linha जब शब्द उच्चारण एवं सामाजिक पर्यावरण की बात करते हैं तब इस तुलनात्मक रूप से अधिक मजबूत धरातल पर होते हैं। इस अध्याय के अन्त desse जिनके सम्भावित, अन्त desse प्रथम धार्मिक प्रतीक है ओम् अथवा ओऽमकार।
ओऽम अथवा ओऽमकारः अनेक प्राचीन एवं सभ सभ्यताओं में इसका उल्लेख आया है। para
अरबी में प्रथम अक्षर के रूप में 'अलिफ' उच्चारित ह उच्चारित ह ग्रीक में 'अल्फा' तथा marca वर्णमाला के अन्त desse इस प्रकार अनेक भाषाओं का प्रथम वर्ण एक अथवा अनेक अक्षरों का समुच्चय जिसे एक ही सांस में उच्चारित किया जा सके वह 'ए' है जिससे ओऽम् अथवा ओम् प्रारम्भ होता है। ग्रीक का अन्तिम वर्ण 'ओमेगा' ओम के अत्यन्त २िकट है२िकट ह इस प्रकार ओऽम् की पहचान अनेक प्राचीन भाषाओं की वर्णमालutos
ओऽमकार का वर्णन अनेक भाषाओं में शब्द चित्र के ूप में उपलब उपलब्ध है। शब।।।।।।।।।।।। ओऽम् का उच्चारण (गूंज) मात्र भारतीय संस्कृति विशेष से ही सम्बन्ध नहीं है।।।।।।।।। इसकी अन्य धर्मों में भी धार्मिक पहचान है। ईसाइयों में प्रचलित शब्द आमीन का प्रार्थना के अन्त में प्रयुक्त होता है जिसके बा marca यद्यपि ओम की कोई विशिष्ट परिभाषा नहीं की गई हैं तथापि इसे वैश्विक ध्वनि, आदिकालीन बीज ध्वनि अथवा समस्त ध्वनियों की पुंजीभूत एकात्म ध्वनि के रूप में स्वीकार करते है। आमीन का तात्पर्य 'ऐसा ही हो' के रूप में प्रग़लित हैग़लित हैग़लित है.
Linha ये तथ्य अनेक प्रतीकों के मध्य सम्बन्ध तथा संभावित समान उद्गम की ओर संकेत करते हैं।।। अंग्रेजी भाषा में उच्चा marca ONISCIÊNCIA Ou seja, conhecimento infinito, ONIPOTENTE Significa Atul forte, OMNIVORO अर्थात कुछ भी खाने वाला। उदाहरणार्थ 'ओमन' में प्रयुक्त यह उच्चारण जो अर Pararea OUVIDORIA का तात्पर्य ऐसे व्यक्ति से है अन अन्तिम न्यायिक फैसला घोषित करने हेतु अधिकृत हो। इस प्रकार ओऽम् अधिकार एवं दिव्यता प् marca
अरबी भाषा में सम समानन्तर ूप से आमीन का अर्थ धार्मिक परिप्रेक्ष्य में प प्रचलित है प प। ही प प प है है है है एक श्वास में उच्चारित समुच्चय ओऽम् के-शब्द marca के ूप ूप में इसी तर्क को स्वीकारूप किया जाता है।।।।।।।।।।।।।।।।।। हम सम समानान्तर अंग्रेजी (लैटिन) वर्ण 'm' तथा ग्रीक वर्ण 'omega' के ूप में भी पाते हैं।।।। हैं प पाते हैं
इस प्रकार शब्दपुंज ओऽम् का आदि कालीन उद्गम अतीत में marcaहस्यपूर्ण marca से विलुप्त हो गया। यह किसी देश अथव अथवा संस्कृति विशेष सम्बन्ध न होकर वैश्विक ज्ञान व मानव मात्र की आध्यात्मिक ध्वनि ूप ूप ूप में सुविदित है आध। आध्यात्मिक ध्वनि ूप ूप ूप में सुविदित है।।।।। ध के ूप ूप सुविदित है है इसके वैश्विक ज्ञान स्रोत एवं उद्गम रूपी तथ्य के साथ यह सत्य आधार है कि आ…ह रूपी सर्वाधिक सहज एवं प्राकृतिक ध्वनि ही मानव कुण्ड से निकलती है। यह ध्यातव्य है कि कोई व्यक्ति अत्यधिक पीड़ा, क्रोध अथवा भयातुर होता है तब यही सहज ध्वनि विश्व मानव की अभिव्यक्ति होती ध ध ध विश विश्व मानव की अभिव्यक्ति होती ध ध ध Linha
यह ध्वनि मनुष्य से सुव्यवस्थित भाषा विकास से पूर्व भी सम्बन्ध रही होगी जैसा कि हम अन्य प्राणियों यथा भौंकने, मिमियाने, गरजने के रूप में ऐसी ध्वनियां पाते हैं। सम्भवतः 'ए' (अ) के ूप में व वर्णमाला के प्रारम्भ होने का भी यही सम्भावित कारण अथवा आधार ded यही सम सम सम pos. 'ओऽम्' अथवा ओम को देवत्व प्रदान करने के पीछे भाव यही भाव
सृष्टि का प्रथम शब्द ध्वनि ओऽम् ही थी औऔ उसे प्रवण अक्षर कहा जाता है ओऽम् शब्द शिव का स्वरूप है क्योंकि शिव सृष सृष्टि के अनादि देव जो प l प l से पहले विद्यमान थे और उन्होंने ही संसार को ध्वनि शब्द, गान और नृत्य प्रदान किया।। गान और नृत्य प्रदान किया।। ।pon ओऽम् शब्द का उच्चारण मात्र ही सब मंत्रों का आधात यह शब्द ही सर्वपूज्य, शुभकारी एवं कल्याणकारी हैयाणकारी है।ारी ओऽम् केवल हिन्दुओं में नहीं, अपितु बौद्ध धर्म, जैन धर्म में भी प्रमुख है।
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