Mais informações शिष्य का समर्पण सिद्द Mais informações बन कर उनके कार्य के बोझ को हलका करे।
यह सच है गु गुरू शिष्य से सेवा करवाता है कुछ विशेष कार्य सौंप कर। परंतु शिष्य को ये कार्य करते समय हमेशा यही भाव रखना चाहिये कि मैं कार्य नहीं कर रहा हूँ, यह तो मेरे माध्यम से स्वयं गुरूदेव कार्य कर रहे हैं। ऐसे भाव से ना केवल उसका अहं गलेगा अपितु वह कार्य को बेहत बेहतर प्रतिपादित कर पायेगा।
Inte यही उसका वास्तविक धर्म है।
Linha ये शिष्य का गुरू के प्रति प्रेम का प्रमाण ैात्र ह ैात्र वास्तविक गुरू सेवा है गुरू की आज्ञा पालन करना तथा उस कार्य को पूर्ण करना जो गुरू ने उसको सौंपा है चाहे वह कार्य कोई भी क्यों न हो।
शिष्य का धर्म है वह व व्यर्थ के वाद विवाद या चिंतन में न पड़कर पूर Pararea मन पर पूर्ण नियंत्रण प्राप्त करने का गुरू सेवा से अच्छा कोई माध्यम नहीं।।।
Linha Linha शिष्य का तो धर्म है कि वह इस ओर ध्यान न दे कि गुरू क्या कर रहे हैं अपितु इस बात पर जोर दे कि गुरू ने उसे क्या करने को कहा है।
गुरू तो स्वयं शिव है, यही भाव लेकर अगर शिष्य चलता है तो एक दिन स्वयं शिवत्व उसमें समाहित हो जाता है।।। गुरू का यही उद्देश्य है कि शिष्य को शिवत्व पऍरदको शिवत्व पऍरदको इसलिये इसी चिंतन के साथ शिष्य को गुरू का स्म desse
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