छठ पूजा के दिन सूर्य भगवान की सम सम्पन्न कर उन्हें अर्घ्य दिया जाता है। चार दिवस तक मनाये जाने वाला यह पर्व बड़ा ही कठिन ही कठिन इसमें शरीर और मन पू पूरी तरह साधना पड़ता है, इसलिये इस पर्व को 'हठयोग' भी माना जाता है।
छठ पर्व मूलतः सूर्यदेव की आराधना का पर्व है, जिसे हिन्दू धर्म में विशेष स्थान प्राप्त है।।। हिन्दू धर्म के देवताओं में सूर्यदेव ऐसे देवता है, जिन्हें साक्षी marca में देखा जा सकता है।।।।।।। छठ पर्व, छठ या षष्ठी पूजा का conseguir em 30 de agosto de 2022, को यह पर्व मनाया जायेगा। Linha Linha सूर्यदेव की पूजा का यह त्योहार मुख्य रूप से पूर्व भारत के बिहार, झारखंड, पूर्व उत्तर प्रदेश और नेपाल के तराई क्षेत्र में मनाया जाता है।
Quais são as regras e regulamentos do Chhath Puja?
छठ पूजा एक ऐसा पर्व है, जो पूरी तरह से साधक को इंद इंद्रिय जनित कमजोरियों पर विजय दिलाता है।। इससे साधक इसकी कठोरता से जरा भी विचलित बिन बिना पूरे श्रद्धा और समर्पण भाव से व व्रत को करते है है त्योहार के अनुष्ठान चार दिनों तक मनाये जाते है। इनमें पवित्र स्नान, उपवास और पीने प पानी (वृत्ता) से दूर ded, लंबे समय तक पानी में खड़ा होना औा और प्रसाद (प्र्थनथना खड़ा होना औ प gre प्रस pos. इसमें मुख्य उपासक आमतौर पर महिलाये होती है। हालांकि, बड़ी संख्या में पुरुष भी अभूतपूर्व श्रद्धा के चलते इस उत्सव का पालन करते है।।
यह पर्व चार दिवसीय है। भाई दूज के तीसरे दिन से यह आरम्भ होता है। छठ पूजा पूरे विधि-विधान के साथ किया जाता है, व्रति दिन भर अन्न-जल त्याग कर शाम करीब 7 बजे से खीर बनाकर, पूजा करने के उपरान्त प्रसाद ग्रहण करते हैं, जिसे खरना कहते हैं। Linha अंतिम दिन उगते हुए सूर्य को अर्घ्य चढ़ाते हैं। पूजा में पवित्रता का विशेष ध्यान रखा जाता है।
लहसुन, प्याज का सेवन वर्जित होता है। जिन घरों में पूज पूजा होती है, वहाँ का संपूर्ण वातावरण बहुत ही भक्तिमय व सात्विक होता है।। भक्तिगीत गाये जाते है। अंत में लोगों पूज पूजा का प् marca
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छठ पूजा का महत्व पर्यावरण के दृष्टिकोण से है क क्योंकि इसका स्वरूप व मनाने का ढंग पूरी तरह से प l को समntas यह है ही प्रकृति की पूजा। इसके पूजन केंद केंद्र में सूर्य हैं औऔ पूजन सामग्री मौसमी-सब्जियाँ, जो प प्रकृति का आभार स्वरूप है।
छठ पूजा की ऐतिहासिक शुरूआत, संस्कार और पुरॾणिक उरॾणिक
छठ पर्व, छठ षष्ठी का अपभ्रंश है। कार्तिक मास की अमावस्या को दीवाली के बाद मनाये जाने वाले इस चार दिवसीय व्रत की सबसे कठिन और महत्वपूर्ण रात्रि कार्तिक शुक्ल षष्ठी की होती है। कार्तिक शुक्ल पक्ष की षष्ठी को मनाये जाने व मान्यता के अनुसार सूर्य भगवान की बहन छठी मइया सम समntas एक कथा के अनुसार प्रथम देवासुर संग्राम में जब असुरों के हाथों देवता हार गये थे, तब देव माता अदिति ने तेजस्वी पुत्र की प्राप्ति के लिए देवारण्य के देव सूर्य मंदिर में छठी मैया की आराधना की थी। तब प्रसन्न होकर छठी मैया ने उन्हें सर्वगुण संपन्न तेजस्वी पुत्र होने का वरदान दिया था। इसके बाद अदिति के पुत्र त् marca कहते हैं कि समय से देव linha रामायण में भी उल्लेखित एक मान्यता के अनुसार, लंका विजय के बाद रामराज्य की स्थापना के दिन कार्तिक शुक्ल षष्ठी को भगवान राम और माता सीता ने उपवास किया और सूर्यदेव की आराधना की। सप्तमी को सूर्याेदय के समय पुनः अनुष्ठान कर सूर्यदेव से आशीर्वाद प्राप्त किया था।
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छठ पूजा चार दिवसीय उत्सव है। इस दौरान व्रतधारी लगातार 36 घंटे का व्रत रखते हैं।ते हैं इस दौरान वे पानी भी ग्रहण नहीं करते।
Tomar banho e comer-पहला दिन कार्तिक शुक्ल चतुर्थी 'नहाय-खाय' के marca में मनाया जाता है। सबसे पहले घर की साफ-सफाई कर उसे पवित्र किया जाता किया जाता किया जाता इसके पश्चात छठव्रती स्नान कर पवित्र तरीके से बना शुद्ध शाकाहारी भोजन ग्रहण कर व्रत शु शुरुआत करते ग है। घर के सभी सदस्य व्रती के भोजन ब बाद ही भोजन ग्रहण करते हैं।।।
Lohanda e Kharna- दूसरे दिन कार्तिक शुक्ल पंचमी व व्रतधारी दिन भर का उपवास marca के बाद शाम को भोजन करते हैं खने खने के बाद शाम इसे 'खरना' कहा जाता है। Linha प्रसाद के marca में गन्ने के marca में बने च चावल की खीखी के साथ दूध, चावल का पिट्ठा और घी ोटी ोटी बनाई जाती पिट है औा औ औ चुपड़ी ोटी ोटी बनाई जाती है है इसमें नमक या चीनी का उपयोग नहीं किया जाता है। इस दौरान पूरे घर की स्वच्छता का विशेष ध्यान रखा ध्यान रखा
Tarde Arghya- Linha प्रसाद के ूप में में, जिसे कुछ क्षेत्रें में टिकरी भी हैं हैं, के अलावा चावल के लड्डू, जिसे भी कहते है, बनाते हैं। इसके अलावा चढ़ावा के रूप में लाया गया सांचा और फल भी छठ प्रसाद के रूप में शामिल होता है। शाम को पूरी तैयारी और व्यवस्था कर बांस की टोकरी में अर्घ्य का सूप सजाया जाता है और व्रती के साथ परिवार तथा पड़ोस के सारे लोग अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देने घाट की ओर चल पड़ते हैं। सभी छठव्रती एक त तालाब या नदी किनारे इकट्ठा होकर सामूहिक marca से अर्घ्य दान संपन्न करते। Linha
Usha Arghya- चौथे दिन कार्तिक शुक्ल सप्तमी की उदियमान सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। व्रती वहीं पुनः इकट्ठा होते हैं, जहाँ उन्होंने पूर्व संध्या को अर्घ्य दिया था। पुनः पिछले शाम की प्रक्रिया की पुनरावृत्ति होत सभी व्रती तथा श्रद्धालु घर वापस आते हैं। व्रती घर वापस आकर पीपल के पेड़, जिसे 'ब्रह्म बाबा' कहते हैं, की पूजा करते हैं।।।।।।।। पूजा के पश्चात् व्रती कच्चे दूध का शरबत पीकर तथा थोड़ा प्रसाद खाकर व्रत पूर्ण करते हैं, जिसे पारण या परता कहते क।। हैं हैं, जिसे पा marca
Rápido
छठ उत्सव के केंद्र में छठ व्रत है, जो एक कठिन तपस्या की तरह है। यह व व्रत अधिकतर महिलाओं द्वारा किया जाता है, कुछ पुरुष भी व व्रत खते हैं। कुछ व्रत रखने वाली महिलाओं को परवैतिन कहा जाता है। चार दिनों के इस व्रत में व्रती को लगातार उपवास करना होता है। भोजन के साथ ही सुखद शैय्या का भी त्याग किया जाता किया जाता किया जाता पर्व के लिए बनाये गये कमरे में व्रती फर्श पर एक कम्बल या चादर के सहारे ही marca र बिताती च च।।।।।।।।।।। इस उत्सव में शामिल होने वाले लोग नए कपड़े पहनते हैं, जिनमें किसी प्रकार की सिलाई नहीं की गई है।।।।। व्रती को ऐसे कपड़े पहनना अनिवार्य होता है। महिलायें साड़ी और पुरुष धोती पहनकर छठ करते हैं। 'छठ पर्व को शुरू करने के बाद सालो-साल तब क करना होता है, जब तक कि अगली पीढ़ी की कोई विवाहित महिला इसके तैय तैयतैय तैय हो ज ज कोई विव विव pos Linha
Referência a Surya Puja
छठ पर्व मूलतः सूर्यदेव की आराधना का पर्व है, जिसे हिन्दू धर्म में विशेष स्थान प्राप्त है।।। हिन्दू धर्म के देवताओं में सूर्यदेव ऐसे देवता हैं, जिन्हें मूर्त marca में देखा जा सकता है। सूर्य की शक्तियों का मुख्य श् marca छठ सू सूर्य के साथ-साथ दोनों शक्तियों की संयुक्त आराधना होती है।।।।।।।।। Linha
Dia de 6 dias
योग में छठ पूजा के प्रक्रम को 6 चरण में बांटा गया गया छठ पूजा शुद्धिकरण 6 चरणों में पूरी होती है।
Primeiro- शरीर और आत्मा का निराविषीकरण, ऐसा व्रत अनुशासन और आत्मसंयम से संभव किय किया जाता है। आत आत आत आत्मसंयम अपने शरीर और ध्यान को सूर्य की प्राण ऊर्जा पाने के लिये तैयार करते हैं।
Segundo- नदी में आधा शरीर डूब जाने तक होक होकर सूर्य को अर्घ्य देना, ऐसा करने से सूर्य से व वाली प्राण ऊरजा से से सुषुम सेgl
terceiro- इस चरण में सूर्य की ऊर्जा आपकी आँखो से पीनियल ग्रंथियों तक पहुँचती है।।।
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o quinto- जैसे ही पीनियल ग्रंथि जागृत होती, आपकी ीढ़ ीढ़ तत होक होक आपके अंद अंद की कुंडिलिनी शक शक शक ीढ़ त ज होक होक अंद अंद अंद की कुंडिलिनी शक शक शक शक को जागृत कक अंद औ औ आपकी आपकी य यानी अंतर्दृष्टि को मजबूत क औ आपकी है इंटुइशन आपकी आपकी य य यानी अंतर्दृष्टि को मजबूत क क है है है है आपकी आपकी आपकी आपकी आपकी य,
o sexto– व्रत धारण करने वाला स्वयं ऊर्जा का एक स्रोत बन जाता है और जगत को अपने व्यक्तित्श O que você pode fazer?
Mais informações लो की सभी मनोकामनाये पूरी होती है इसलिये अपनी म Mais informações ोनो के द्वारा छठ पूजा व्रत किया जाता हैं।
हमारी भारतीय संस्कृति में त्योहार कुछ ऐतिहासिक घटनाओं पर आधारित होते औ और वे हमारे लिये बहुत महत्वपूर्ण हेाते हैं हम विभिन्न देवी-देवताओं से प्राalar